September 22, 2024

सेना को है कम्युनिकेशन सैटेलाइट की दरकार, जानें क्यों ‘स्टूडेंट सैटेलाइट’ के लिए टेंडर प्रक्रिया से मांगी जानकारी

भारतीय सेना ने सैन्य अधिकारियों को सैटेलाइट कम्युनिकेशन की ट्रेनिंग के उद्देश्य से ‘स्टूडेंट-सैटेलाइट’ के लिए प्राइवेट कंपनियों से टेंडर प्रक्रिया के जरिए जानकारी मांगी है. इस बावत भारतीय सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन जारी की है. सेना के मुताबिक मध्य प्रदेश के महू स्थित मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में सैन्य अधिकारियों की के ट्रेनिंग लिए स्टूडेंट कम्युनिकेशन सैटेलाइट की जरुरत है.

भारतीय सेना प्रशिक्षण के लिए छोटा कम्युनिकेशन सैटेलाइट चाहती है. सेना ने कहा है कि वेंडर्स (कंपनियां) इस सैटेलाइट के लिए जरुरी जानकारी साझा करें. आरएफआई यानि रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन किसी भी रक्षा सौदे के टेंडर का पहला चरण होता है.

स्टूडेंट सैटेलाइट की क्यों है जरुरत?

भारतीय सेना के मुताबिक इस स्टूडेंट कम्युनिकेशन सैटेलाइट को पृथ्वी की निचली ऑर्बिट यानी कक्षा में लॉन्च किया जाएगा. इसके अलावा महू स्थित एमसीटीई कॉलेज में प्रशिक्षण के लिए अर्थ-स्टेशन भी स्थापित किया जाएगा. भारतीय सेना के मुताबिक, इसके जरिए सैन्य अधिकारियों को स्पेस टेक्नोलॉजी यानी अंतरिक्ष से जुड़ी तकनीक और सैटेलाइट कम्युनिकेशन के बारे में ट्रेनिंग दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट में सैटेलाइट लिंक, प्लानिंग, सैटेलाइट डिजाइन, कम्युनिकेशन पेयलोड डिजाइन, टेस्टिंग जैसी प्रक्रिया भी टेंडर में शामिल की गई हैं.

एमसीटीई क्या है?

स्टूडेंट सैटेलाइट ट्रेनिंग के इरादे से ही इजाद की गई हैं. इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के लिए देश की आधा दर्जन यूनिवर्सिटी ने मिलकर इस स्टूडेंट सैटेलाइट को तैयार किया है. यही वजह है कि सेना ने जिस स्टूडेंट सैटेलाइट के लिए आरएफआई (RFI) जारी की है, उसे इसरो के ही पीएसएलवी यानी पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) से अंतरिक्ष में छोड़ा जाएगा. एमसीटीई भारतीय सेना का कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग का एक प्रीमियम इंस्टीट्यूट है.


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