September 22, 2024

नासा ने कहा- लॉकडाउन के बाद उत्तर भारत में वायु प्रदूषण 20 साल में सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

कोरोना संक्रमण की कड़ी तोड़ने के लिए शुरू हुए लॉकडाउन से पर्यावरण में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। अमेरिका स्पेस एजेंसी नासा के ताजा सेटेलाइट डाटा से पता चला है कि इन दिनों उत्तर भारत में वायु प्रदूषण 20 साल में सबसे निचले स्तर पर है। नासा ने इसके लिए वायुमंडल में मौजूद एयरोसोल की जानकारी हासिल की। फिर ताजा आंकड़े की तुलना 2016 से 2019 के बीच खीचीं गई तस्वीरों से की। बता दें कि कोरोना संकट से निपटने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन है, इसका दूसरा चरण 3 मई तक जारी रहेगा।

लॉकडाउन के कारण वायुमंडल में देखने को मिले बड़े बदलाव

नासा में यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन (यूएसआरए) के साइंटिस्ट पवन गुप्ता के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण वायुमंडल में बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिला है। इससे पहले कभी उत्तर भारत के ऊपरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण का इतना कम स्तर देखने को नहीं मिला। लॉकडाउन के बाद 27 मार्च से कुछ इलाकों में बारिश हुई। इससे हवा में मौजूद एयरोसोल नीचे आ गए। यह लिक्विड और सॉलिड से बने ऐसे सूक्ष्म कण हैं, जिनके कारण फेफड़ों और हार्ट को नुकसान होता है। एयरोसोल की वजह से ही विजिबिलिटी घटती है।

स्टेट ऑफ साउथ एंड सेंट्रल एशिया के एक्टिंग असिस्टेंट सेक्रेटरी एलिस जी वेल्स ने ट्वीट किया, ”नासा के द्वारा ली गई यह तस्वीरें भारत में 20 साल के सबसे कम प्रदूषण को दिखाती हैं। जब भारत और दुनिया के देशों में यातायात फिर शुरू होगा तो हमें साफ हवा के लिए प्रयासों को ध्यान रखना चाहिए।”

जानें कैसे नासा ने प्रदूषण का पता लगाया

नासा के टेरा सेटेलाइट के द्वारा जारी की गई तस्वीरों में एयरोसोल ऑपटिकल डेप्थ (एओडी) की तुलना 2016-2019 के बीच ली गईं तस्वीरों से की गई। एओडी के आंकड़े जुटाने के लिए देखा जाता है कि प्रकाश एयरबोन पार्टिकल्स से कितना रिफ्लेक्ट हो रहा है। अगर एयरोसोल सतह के आसपास होते हैं तो एओडी 1 होती है, यह स्थिति प्रदूषण के लिहाज से गंभीर मानी जाती है। अगर एओडी 0.1 पर है तो वायुमंडल को स्वच्छ माना जाता है।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com