September 22, 2024

चुनाव निपटते ही पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र भाजपा के लिए हुए फिर खास, बड़े भाजपाई लगा रहे पूर्व सीएम के आवास पर हाजिरी

देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव निपट चुका है और सभी राजनीतिक दलों को चुनाव के नतीजों को इंतजार हैं। लेकिन इधर उत्तराखण्ड भाजपा में अंदरखाने समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड भाजपा में एक बार फिर पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत खास भूमिका मंे नजर आ रहे हैं। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के दर पर इन दिनों भाजपा नेता हाजिरी लगाते नजर आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक हाजिरी लगा चुके हैं। टिहरी की सांसद राजलक्ष्मी शाह और विकासननगर विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी पत्नी समेत पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह के आवास पर हाजिरी लगा गये हैं। त्रिवेन्द्र के आवास पर इन दिनों भाजपा नेताओं की इन मुलाकातों के भी राजनीतिक गलियारों में खासी चर्चा है।

दावा किया जा रहा है कि 2022 विधान सभा चुनावों के नतीजे जो भी त्रिवेन्द्र अहम भूमिका में रहेगे। जिस तरह के फीडबैक सियासी दलों को मिल रहे हैं, उनमें निर्दलीय या अन्य दलों के साथ गठजोड़ की संभावना बनती हुई नजर आ रही है। इन सब परिस्थितियों में त्रिवेंद्र सिंह रावत की भूमिका अहम हो सकती है। इसके साथ ही 2017 में जीतकर आए अधिकतर विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत के काफी करीबी रहे हैं। जो कि एकजुट होने के लिए त्रिवेंद्र को मजबूत कड़ी मानते हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने करीब 4 साल सरकार चलाई। भाजपा के पुराने चेहरे त्रिवेंद्र के साथ पूरा सहयोग करते रहे। जो कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ हर बार कंधे से कंधा मिलाते नजर आए थे। इनमें कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और मदन कौशिक भी शामिल रहे हैं। एक बार फिर दोनों एक साथ त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर मंथन करते हुए नजर आए हैं।

त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सक्रिय राजनीति में होने के बाद भी विधानसभा चुनाव से किनारा कर चुके थे। चुनाव न लड़ने के ऐलान के साथ ही त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सबको चौंका दिया था। लेकिन इसे पार्टी हाईकमान की ओर से एक बड़ा संकेत माना जा रहा था, कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को चुनाव न लड़ाकर पार्टी स्पष्ट संकेत दे रही है कि भाजपा में सभी पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में ही एकजुट होकर चुनाव लड़ें। हालांकि डोईवाला सीट पर अंतिम समय में अपने मनपसंद प्रत्याशी बृजभूषण गैरोला को टिकट दिलाकर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने विरोधियों को अपनी ताकत का एहसास करा दिया। इतना ही नहीं जिन-जिन सीटों पर भाजपा को बगावत का सामना करना पड़ा, उन सीटों पर कई जगह त्रिवेंद्र सिंह रावत पार्टी के संकटमोचक की तरह ही नजर आए।

त्रिवेंद्र सिंह रावत केन्द्रीय नेतृत्व के भी काफी करीबी माने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भी सबसे करीबी नेताओं में त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम आता है। बतौर प्रभारी और सह प्रभारी त्रिवेंद्र सिंह रावत अमित शाह के साथ संगठन में भी काम कर चुके हैं। इसके साथ ही महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के भी त्रिवेंद्र सिंह सबसे खास नेताओं में रहे हैं। जो कि संगठन से लेकर सरकार तक मजबूत पकड़ रखते हैं। इस तरह त्रिवेंद्र सिंह रावत की भूमिका प्रदेश की राजनीति में अहम मानी जाती है। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक का त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलना आने वाले परिणाम से पहले फील्डिंग सजाने से भी जोड़ा जा रहा है।

 


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