September 22, 2024

‘हिंदुत्व और भारतीयता एक बात नहीं’, जानिए मोहन भागवत के बयान पर और क्या बोले ओवैसी?

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में मोहन भागवत के दिए बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आरएसएस चाहता है कि देश में एक संस्कृति हो। ओवैसी ने कहा कि  हिंदुत्व और भारतीयता एक नहीं है। भारत कई धर्मो से मिलकर बना है। यदि कोई धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो करे, धर्म परिवर्तन से भागवत डरते क्यों हैं। भागवत को संविधान पढ़ना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि एक समुदाय के खिलाफ नफरत क्यों फैलाई जा रही है।

जनसंख्या पर भागवत फैलाते हैं नफरत: ओवैसी

मोहन भागवत के उद्बोधन के जवाब में ओवैसी ने कहा कि देश में 8 फीसदी बेरोजगारी हो चुकी है। बेरोजगार लोगों को  रोजगार नहीं मिला है, इस मुद्दे पर मोहन भागवत को बात करना चाहिए। जनसंख्या पर मोहन भागवत बात करके एक समुदाय पर नफरत फैलाने की बात करते हैं। वे रोजगार पर बात क्यों नहीं करते हैं।

ओवैसी ने कहा कि जनसंख्या पर भारत चीन वाली गलती न करें। उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत की जनसंख्या स्टेबल हो जाएगी, लेकिन डेमोग्रेफिक डिविडेंट है, उस पर बात हो। ओवैसी ने कहा कि  देश युवाओं का है। सरकार को युवाओं के रोजगार के लिए काम करना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत ने कन्वर्जन के बारे में कहा था। दरअसल, आरएसएस चाहती है कि भारत में एक महजब और एक जुबान हो, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता। क्या दक्षिण भारत के कल्चर को उत्तर भारत  में थोपा जा सकता है? चॉइस तो भारत के संविधान में हैं। उन्होंने मोहन भागवत पर निशाना साधते हुए कहा कि आप हिंदुत्व क्यों थोपते हैं। कोई मजहब चेंज करना चा​हता है, उसे पर परेशानी क्यों हैं।

मोहन भागवत को संविधान पढ़ना चाहिए: ओवैसी

ओवैसी ने मोहन भागवत को नसीहत देते हुए कहा कि तिरंगे और जन गण मन के बारे में उस समय के सरसंघचालक ने क्या कहा था, उसे मोहन भागवत को पढ़ना चाहिए।

ओवैसी ने कहा कि संविधान में लिखा है कि जो  सोशली, पोलिटिकली, इकोनॉमिकली कमजोर होगा, उसे ताकतवर बनाया जाए। ये बात आरएसएस नहीं समझना चाहता है। संविधान सच्चाई है, उसे मानना पड़ेगा।

गौरतलब है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक दीक्षांत समारोह में कहा था कि ‘सिर्फ जिंदा रहना किसी ​मनुष्य के जीवन का उद्देश्य नहीं होना चाहिए। सिर्फ खाना और आबादी बढ़ाना, ये काम तो जानवर भी कर लेते हैं। शक्तिशाली ही जीवित रहेगा, ये जंगल का नियम है। वहीं शक्तिशाली जब दूसरों की रक्षा करने लगे, ये मनुष्य होने की निशानी है।’ मोहन भागवत ने सीधे तौर पर तो जनसंख्या पर कुछ नहीं बोला, लेकिन जनसंख्या बढ़ाने और कुछ किएटिव काम करने का इंसान और जानवर में जो फर्क होता है, उसे बताते हुए उन्होंने बड़ा संदेश दिया।


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