September 22, 2024

अटल टनल से सेना को मिली नई रफ्तार, देखिए- पहली बार सुरंग से कैसे गुजरा भारतीय सेना का काफिला

अटल टनल से भारतीय सेना का नई रफ्तार मिल गई है। चीन के साथ तनाव के दौर में ये सुरंग भारतीय सेना के लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है। एलएसी के इलाकों में सेना की मूवमेंट के लिहाज से अटल टनल को काफी अहम माना जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 3 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश में जिस अटल टनल को देश को समर्पित किया था, उससे बुधवार यानी 7 अक्टूबर को पहली बार सेना का काफिला गुजरा।

सेना का ये काफिला लेह की ओर जा रहा था। इस टनल की वजह से भारतीय सेना के लिए लेह-लद्दाख जाना आसान हो गया है। इस काफिले में सेना के कई ट्रक और अन्य वाहन शामिल रहे। ट्रकों में सेना के जरूरी दैनिक उपयोग के सामान को आगे के इलाकों में भेजा गया। 

अटल टनल को एलएसी के इलाकों में सेना की मूवमेंट के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है। ये अटल टनल हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में है। इस टनल के रास्ते लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किमी कम हो गई है। इसके अलावा इस टनल का इस्तेमाल करने पर ट्रैवल टाइम में 5 घंटे की बचत होती है। इस टनल के रास्ते लद्दाख में तैनात सैनिकों से सालभर बेहतर संपर्क बना रहेगा। आपात परिस्थितियों के लिए ये सुरंग सबसे कारगर साबित होगी और विशेष परिस्थितियों में अटल टनल आपातकालीन निकास का भी काम करेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन अक्टूबर को सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और दुनिया की सबसे लंबी सुरंग ‘अटल टनल’ अटल टनल देश को समर्पित किया था। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘अटल टनल’ लेह- लद्दाख की लाइफलाइन बनेगा और भारतीय सेना को सामरिक रूप से मजबूती मिलेगी।

इस टनल की कामयाबी से चीन बौखलाए गया है। इस टनल का उद्घाटन होते ही चीन भारत को गीदड़ भभकी देने पर उतर आया है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक आर्टिकल में लिखा है कि भारत को अटल टनल बनाने से बहुत ज्यादा फायदा नहीं होने वाला है। ग्लोबल टाइम्स लिखता कि इसका निर्माण सिर्फ सैन्य मकसद से किया गया है। चीन ने ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा है कि जंग के वक्त, खासकर सैन्य संघर्ष के दौरान इससे भारत को कोई फायदा नहीं होने वाला है। अखबार के मुताबिक पीएलए के पास इस सुरंग को बेकार करने के कई तरीके हैं। 

आपको बता दें कि 9.02 किलोमीटर लंबे इस सुरंग को बनाने में भारत सरकार 3200 करोड़ की लागत आई है। ये सुरंग हिमाचल प्रदेश में मनाली और लाहौल स्फीति को जोड़ता है। यह सुरंग 3000 मीटर की ऊंचाई पर बनाई गई दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। यह टनल 10 सालों में बनकर तैयार हुई है। 


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