लेखिका गीतांजलि श्री के ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ ने जीता 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

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लेखिका गीतांजलि श्री का हिंदी उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली पुस्तक बन गई है।

पुरस्कार मिलने के बाद गीतांजलि श्री ने कहा, “मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं अवार्ड जीत सकती हूं।”

‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ दुनिया के उन 13 पुस्तकों में शामिल था, जिसे अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए सूची में शामिल किया गया था। ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा की पहली किताब बन गई है।

उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ पिछले महीने अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया था। बता दें कि गीतांजलि श्री की यह किताब मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी। जिसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’, डेजी रॉकवेल ने किया है और जूरी के सदस्यों ने इसे ‘शानदार और अकाट्य’ बताया था।

गीतांजलि श्री उत्तर प्रदेश के मैनपुरी की रहने वाली हैं। गीतांजलि श्री ने तीन उपन्यास और कई कहानी संग्रह लिखी हैं। उनकी कृतियों का अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, सर्बियन और कोरियन जैसी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। फिलहाल 64 वर्षीय गीतांजलि श्री दिल्ली में रहती हैं। उनकी अनुवादक डेजी रॉकवेल एक पेंटर एवं लेखिका हैं जो अमेरिका में रहती हैं। उन्होंने हिंदी और उर्दू की कई पुस्तकों का अनुवाद किया है।