September 24, 2024

बाबरी विध्वंस की कड़वाहट को भूला अयोध्या? जानिए- तीन दशक बाद कैसा है माहौल?

अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के तीन दशक बाद तीर्थ नगरी के लोग सारी कड़वाहट भूलकर आगे बढ़ गये हैं और डर व संशय की बजाय मंगलवार को ढांचा ध्‍वंस की तीसवीं बरसी को सामान्य दिन के रूप में ले रहे हैं. अब पहले की तरह बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी की पूर्व संध्‍या पर अयोध्या पुलिस छावनी और बख्तरबंद किले की तरह भी नहीं दिखता लेकिन जिला प्रशासन ने फिर भी एहतियात के तौर पर छह दिसंबर को अयोध्या में बाबरी ध्‍वंस बरसी के मौके पर सुरक्षा की व्यवस्था की है. अयोध्या के माहौल में बदलाव का आलम यह है कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा छह दिसंबर को न तो ‘शौर्य दिवस’ मनाया जाएगा और न ही मुस्लिम पक्ष इस बार इसे ‘काला दिवस’ के रूप में मनाएगा.

सुप्रीम कोर्ट के 2019 में फैसले के साथ राम जन्मभूमि विवाद समाप्त हो गया. दोनों समुदायों के लोग शांतिपूर्ण माहौल के लिए आगे बढ़े हैं और मस्जिद विध्वंस की सालगिरह को चिह्नित करने के लिए मंगलवार को कोई आयोजन नहीं होंगे. अयोध्या के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुनिराज जी ने कहा, ‘‘अयोध्या में स्थिति शांतिपूर्ण है और हमने छह दिसंबर के लिए नियमित व्यवस्था की है.’’ ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष कोर्ट के फैसले द्वारा उन्हें प्रदान की गई भूमि पर अपने संबंधित नए ढांचे (मंदिर-मस्जिद) को विकसित करने के बारे में अधिक चिंतित हैं.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के सचिव चंपत राय, जिन्हें विशाल राम मंदिर के निर्माण का काम सौंपा गया है, पहले ही कह चुके हैं कि भक्त जनवरी 2024 से नए मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त, 2020 में राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में आधारशिला रखी और तबसे तेज गति से मंदिर निर्माण का कार्य जारी है. इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने भी कहा है कि अयोध्या मस्जिद दिसंबर 2023 तक तैयार हो जाएगी. शीर्ष अदालत के आदेश द्वारा प्रदान की गई पांच एकड़ भूमि पर नई मस्जिद बनाने के काम की जिम्मेदारी अतहर हुसैन संभाल रहे हैं.

लोगों ने क्या कहा

मणिराम दास छावनी इलाके के पास मुख्य सड़क पर एक दुकान चलाने वाले कृष्ण कुमार याद करते हैं कि तीन दशकों से अयोध्या कैसे बदल गई है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं पिछले 35 वर्षों से इस दुकान का मालिक हूं और मैं कह सकता हूं कि आज अयोध्या में वातावरण अच्छा है. हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच कोई तनाव या ऐसी कोई बात नहीं है. हम सब चैन से रहते हैं.” उन्होंने कहा, ‘‘जब विध्वंस हुआ तब मैं लगभग 20 साल का था, तब माहौल भी ‘राममय’ था. बाहर से कारसेवक आये थे और तब तनाव था, लेकिन ऐसा कोई डर नहीं था.’’


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