राठ क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले नवनियुक्त प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल के सियासी सफर की एक दिलचस्प कहानी
साधारण परिवार में जन्म लेकर सफलता की ऊंचाई छूने वाले नवनियुक्त कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल यूं तो उत्तराखंड की राजनीति में जाना पहचाना नाम है लेकिन इस पद पर पहुंचना उनका व्यक्तिगत जीवन में अपनाए गए आदर्श, ईमानदारी, कठिन परिश्रम और पार्टी के प्रति निष्ठा ही है जो इतने कम समय में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गणेश गोदियाल जी पर अपना भरोसा जताया है।
गणेश गोदियाल जी का जन्म राठ क्षेत्र के ग्राम बहेणी पट्टी कंडारस्यूं में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव के विद्यालय में संपन्न हुई। व्यक्तिगत जीवन में जी तोड़ मेहनत को सफलता की कुंजी बनाया। गाय पालने से लेकर मुंबई की सड़कों पर फल एवं सब्जी तक बेचने का कारोबार किया। लगभग 25 वर्षों तक अपनी मेहनत और योग्यता से महानगरों में अपनी कामयाबी के झंडे गाढ़ने के पश्चात अपने पैतृक भूमि में लौट आए और राठ क्षेत्र जिसे पौड़ी जिले का सबसे पिछड़ा क्षेत्र गिना जाता था उसे अपनी नई कर्मभूमि बनाया।
उस समय महाविद्यालय के अभाव में राठ क्षेत्र के बहुत सारे युवा इंटरमीडिएट पास करने के पश्चात अपनी पढ़ाई आगे नहीं कर पाते थे। गणेश गोदियाल ने युवाओं के इस दर्द को समझा और दिन-रात अपने अथक प्रयासों से पैठाणी में राठ महाविद्यालय की स्थापना की।
वर्ष 1991 की राम लहर के बाद से कांग्रेस के उस समय के कद्दावर नेता डॉक्टर शिवानंद नौटियाल भाजपा के डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से लगातार चार चुनाव हार चुके थे। ऐसे वक्त में कांग्रेस पार्टी ने गणेश गोदियाल की क्षेत्र में बढ़ती हुई लोकप्रियता को देखते हुए 2002 के चुनावों में विधानसभा टिकट दिया। उन चुनावों में गणेश गोदियाल ने सभी को चौंकाते हुए कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की और डॉ रमेश पोखरियाल निशंक को थैलीसैण विधानसभा सीट पर पराजित किया।
बेशक 2007 के विधानसभा चुनावो में गणेश गोदियाल चुनाव हार गए लेकिन उसके बाद भी वह क्षेत्र में सक्रिय रहे और क्षेत्र के विकास के लिए दिन-रात प्रयासरत रहे। यही कारण था कि वर्ष 2012 में राठ का रण छोड़कर डॉ रमेश पोखरियाल निशंक डोईवाला चले गए और 2012 के चुनावों में जनता ने गणेश गोदियाल को श्रीनगर विधानसभा सीट से जीता कर उत्तराखंड विधानसभा में भेजा। इसके पश्चात गणेश गोदियाल का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता चला गया।
साल 2016 का साल राजनीतिक रूप से उत्तराखंड कांग्रेस के लिए काफी उथल-पुथल वाला रहा और कांग्रेस पार्टी बड़ी टूट का शिकार बनी। उस समय गणेश गोदियाल को बीजेपी खेमे में लाने के लिए कई प्रकार के प्रलोभन दिए गए लेकिन गणेश गोदियाल ठहरे ठेठ पहाड़ी। किसी के बहकावे में नहीं आए। और कांग्रेस पार्टी को अपनी मां समझने वाले गणेश गोदियाल राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार हुए और ईडी की रडार पर आए। 96 लाख का जुर्माना किया गया। छापे पड़े और परेशान किया गया।
जांच में कुछ नहीं निकला। बेदाग होकर एक ईमानदार व्यक्तित्व के रूप में निखर कर सामने आए। एक संघर्षशील और ईमानदार नेता को आज कांग्रेस ने मौका दिया इससे अच्छी बात उत्तराखंड प्रदेश के लिए और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के लिए नहीं हो सकती है।
गणेश गोदियाल ने 2002 तथा 2012 में उत्तराखंड विधानसभा के सदस्य रहे। गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष एवं श्री बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष तथा संसदीय सचिव के रूप में महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व का भी निर्वहन किया।
गणेश गोदियाल को महानगरों और पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में कार्य करने का अनुभव है तथा उन्हें शहरी और ग्रामीण अंचलो की समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं। निश्चित तौर पर उनके इन अनुभवों का लाभ उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस और प्रदेश की जनता को मिलेगा।