टीएमसी के आरोपों पर चुनाव आयोग की दो टूक, कही ये बड़ी बात
पश्चिम बंगाल का विधानसभा चुनाव इन दिनों देशभर में सुर्खियों का विषय बना हुआ है। चर्चा की वजह चुनाव प्रचार के अलावा लोगों में बढ़ता आक्रोश भी है। नंदीग्राम विधानसभा सीट से ताल ठोंक रही राज्य की सीएम ममता बनर्जी पर बुधवार को हुए कथित हमले के बाद कानून व्यवस्था पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। ममता बनर्जी के आरोप के मुताबिक कुछ लोगों ने उन्हें धकेल दिया, जिसकी वजह से पैर में चोट आई।
कथित हमले के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं का प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन देखने को मिला साथ ही पार्टी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से भी मुलाकात की।
इस बीच, गुरुवार शाम चुनाव आयोग ने टीएमसी की चिट्ठी पर करारा जवाब दिया है। चुनाव आयोग का कहना है कि यह आरोप पूरी तरह से गलत है कि चुनाव आयोग ने बंगाल में चुनाव कराने के लिए यहां की कानून व्यवस्था को पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया है।
आगे चुनाव आयोग ने कहा कि ममता पर हमला एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जिसकी सही तरीके से जांच की जरूरत है। टीएमसी के पत्र का जवाब देते हुए आयोग ने कहा है कि जब तक ममता बनर्जी पर हुए हमले की रिपोर्ट आयोग को नहीं मिल जाती, तब तक इस मामले को डीजीपी वीरेंद्र को हटाने से जोड़कर देखना और कोई अनुभवजन्य निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा। आयोग ने डीजपी की तरह एडीजी को भी विशेष पर्यवेक्षकों से विचार-विमर्श के बाद हटा दिया गया था। जब चुनावों की घोषणा हो चुकी है, तो राज्य सरकार से परामर्श करना कानूनी रूप से आवश्यक या अनिवार्य नहीं है क्योंकि ये सामान्य रूप से अस्थायी उपाय हैं।
– टीएमसी ने लगाया यह बड़ा आरोप
टीएमसी द्वारा लिखे पत्र में कहा था कि चुनावों की घोषणा के बाद राज्य की कानून व्यवस्था चुनाव आयोग की होती है। ऐसे में नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हो गया। चुनाव आयोग ममता को सुरक्षा उपलब्ध कराने में पूरी तरह नाकामयाब रहा। टीएमसी ने यह भी आरोप लगाया था कि बंगाल के डीजीपी वीरेंद्र को हटाए जाने के एक दिन बाद ही नंदीग्राम में ममता बनर्जी पर हमला हो गया। टीएमसी नेताओं ने यह भी कहा था कि बीजेपी के एक सांसद ने डीजीपी को हटाए जाने के बाद कहा था कि अब 10 मार्च को देखिए क्या होता है।