November 11, 2024

ममता बनर्जी के मंत्री पार्थ चटर्जी ने लिखी ‘राजभवन’ पर किताब, ‘जगदीप धनखड़’ के नाम का नहीं किया जिक्र

Bengal Minister Parth Chatterjee and Bengal governor Jagdeep Dhankhar

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य की सीएम ममता बनर्जी के बीच तल्खी कम होने का नाम नहीं ले रही है. उनके रिश्ते की खटास खुलकर सामने आने लगी है. ममता बनर्जी के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी ने उनके राजनीतिक जीवन में करीब से देखे गए बंगाल के कुछ राज्यपालों पर केंद्रित एक किताब लिखी है, लेकिन इसमें मौजूदा राज्यपाल जगदीप धनखड़ का उल्लेख नहीं है. उन्होंने अपनी किताब में महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी, एमके नारायण और केसरीनाथ त्रिपाठी के बारे में उल्लेख किया है. सूत्रों का कहना है कि ममता सरकार के साथ तल्ख संबंधों के कारण ही पार्थ चटर्जी ने किताब में राज्यपाल जगदीप धनखड़ का जिक्र नहीं किया है. हालांकि उद्योग मंत्री फिलहाल इस बारे में सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.

बताते चलें कि धनखड़ ने 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद 30 जुलाई को बंगाल के राज्यपाल के रूप में पदभार संभाला था. तब से विभिन्न मुद्दों पर राज्य सरकार के साथ उनका टकराव जारी है. सीएम ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिखकर राज्यपाल को हटाने की मांग की है. सात मार्च से शुरू हो रहे बंगाल विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्यपाल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाएगा.

कोलकाता पुस्तक मेले में मंत्री की किताबों का होगा विमोचन

कोलकाता पुस्तक मेले में बंगाल के उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी की तीन किताबों का विमोचन होगा, जिनमें से एक पुस्तक ‘राजभबनेर अंदरमहले’ (राजभवन के अंदरखाने में) उनके राजनीतिक जीवन में करीब से देखे गए बंगाल के कुछ राज्यपालों पर केंद्रित है. बता दें कि साल 2006 में पार्थ चटर्जी विपक्ष के नेता बने थे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी उस समय बंगाल के राज्यपाल थे. उस समय सिंगुर-नंदीग्राम आंदोलन को लेकर बंगाल की राजनीति जोरों पर थी और इसे ध्यान में रखते हुए विपक्ष के नेता और राज्यपाल के बीच घनिष्ठ संबंध विकसित हुए थे. पार्थ चटर्जी ने अपनी पुस्तक में उस रिश्ते का जिक्र किया है.

ममता बनर्जी के संघर्ष पर भी लिखी गयी है किताब

दो पुस्तकों में से एक अंग्रेजी में है. नाम है ‘स्ट्रगल पीरियड युथ आवर लीडर ममता बनर्जी”. इसमें तृणमूल नेत्री के साथ उनके संघर्ष के दिनों का जिक्र है. पार्थ चटर्जी द्वारा लिखी गई तीसरी किताब का नाम है ‘नोय नेतर नोय काहन’ (नौ नेताओं की नौ कहानी). उद्योग मंत्री ने कहा कि इस किताब में उन नौ नेताओं को शामिल किया गया है जिनसे वह अपने राजनीतिक जीवन में प्रभावित हुए हैं. किताब में तृणमूल नेत्री ममता के अलावा दिवंगत नेताओं सिद्धार्थ शंकर राय, प्रियरंजन दासमुंशी, सुब्रत मुखर्जी, सोमेन मित्रा और पंकज बंद्योपाध्याय का भी जिक्र है. पार्थ चटर्जी ने दमदम के एक अनुभवी सांसद सौगत रॉय के साथ भी अपना अनुभव साझा किया है.

पुस्तक में वामपंथी नेताओं भी भूमिका को भी किया गया है उल्लेख

उन्होंने अपनी पुस्तक में दो दिवंगत वामपंथी नेताओं का भी विस्तार से उल्लेख किया है. ये हैं पूर्व स्पीकर हासिम अब्दुल हलीम और मजदूर नेता मोहम्मद इस्माइल. पार्थ चटर्जी ने एक श्रमिक नेता के रूप में बंगाल की राजनीति में इस्माइल की भूमिका पर प्रकाश डाला है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष हलीम के साथ 10 साल तक काम करने का अपना अनुभव भी साझा किया है.