राज्य बनने के बाद भगदा का चमका भाग्य, 25 साल के लम्बे इंतजार के बाद पहुंचे लोकसभा
अल्मोड़ा संसदीय सीट में कई दिग्गजों ने भाग्य अजमाया, लेकिन सफलता कुछ को ही मिली। ऐसा ही कुछ हुआ उत्तराखण्ड के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के साथ। अल्मोड़ा संसदीय सीट से वर्ष 1989 की हार के बाद भगत दा को लोकसभा सदस्य बनने के लिए पूरे 25 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। उनका भाग्य राज्य बनने के बाद चमका और वह सत्ता के शिखर पर चढ़ते रहे।
संसदीय चुनाव के इतिहास में 1989 का चुनाव पूर्व सीएम एवं राज्पाल रहे भगत सिंह कोश्यारी के लिए बेहद खास रहा। उस समय भगत सिंह कोश्यारी 47 साल के थे। उस चुनाव में कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद संसदीय चुनावों से उन्होंने एक तरह से अघोषित संन्यास ही ले लिया था। 1989 में भगत सिंह कोश्यारी अल्मोड़ा संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे।
वर्ष 1980 और 1984 में लगातार हर के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद को पलायन कर चुके थे। उन्हें कांग्रेस के युवा तुर्क हरीश रावत ने हराया।
इसके बाद भाजपा ने संघ से जुड़े भगत सिंह कोश्यारी को टिकट दिया। उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत खड़े थे जो 1980 व 1984 में लगातार लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे थे। 1989 में राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदल रही थी। कांग्रेस के विरोध में लहर थी। इस कारण भाजपा को लग रहा था कि यह चुनाव जीत जाएगी। चुनाव में कुल तीन लाख 72 हजार लोगों ने मतदान किया। भगत सिंह कोश्यारी को केवल 9.32 प्रतिशत यानि 34768 मत ही मिले और वे तीसरे नम्बर पर रहे। उन्हें एक तरह से जनता ने नकार दिया। भगतदा केवल जमानत बचाने में कामयाब रहे। हार से हताश भगत सिंह कोश्यारी दो साल बाद 1991 में हुए चुनाव में टिकट की दौड़ से खुद हट गए। भाजपा ने नए चेहरे जीवन शर्मा को टिकट दिया।
जीवन शर्मा राम लहर में चुनाव जीत गए। 1989 के संसदीय चुनाव में हर के बाद लोकसभा पहुंचने में भगत सिंह कोश्यारी को 25 साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा। वह 72 साल की उम्र में साल 2014 में नैनीताल संसदीय सीट से मोदी लहर में चुनाव जीतने में कामयाब रहे।