December 5, 2024

बड़ा फैसलाः उत्तराखंड बोर्ड की हाईस्कूल की परीक्षा निरस्त, 12वीं की स्थगितः अरविंद पांडे

07 08 2020 teacherrlogs 20602154

देहरादून। कोविड-19 की वजह से सीबीएसई, आईसीएसई और कई राज्यों की परीक्षाएं स्थगित होने के बाद अब उत्तराखंड बोर्ड की परीक्षाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। हरिद्वार महाकुम्भ के कारण प्रदेश में लगातार कोरोना वायरस कोविड-19 संक्रमण की संख्या अधिक होने के कारण राज्य सरकार ने यह अहम निर्णय लिया है। जिसके बाद कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उत्तराखंड बोर्ड की आगामी चार मई से होने वाली परीक्षाओं को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है।

प्रदेश के शिक्षा मंत्री अरविंद ने बताया है कि उत्तराखंड बोर्ड की दसवीं की परीक्षा को निरस्त कर दिया गया है। वहीं इंटरमीडिएट की परीक्षा स्थगित कर दी गई है। विभागीय मंत्री ने बताया कि फैसले को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से गहन विचार विमर्श किया गया। इसके साथ ही केंद्रीय स्वास्यमंत्रालय व राज्य स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ चर्चा करने के बाद यह फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि 12वीं की परीक्षा को लेकर भी जल्द निर्णय किया जायेगा।

शिक्षा मंत्री और फिर मुख्यमंत्री के स्तर से अंतिम निर्णय लिया गया

शिक्षा सचिव आरमीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक इस संबंध में मुख्य सचिव को प्रस्ताव भेजा था। शिक्षा मंत्री और फिर मुख्यमंत्री के स्तर से इस पर अंतिम निर्णय लिया गया। शिक्षा सचिव आरमीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक सीबीएसई की तर्ज पर इन परीक्षाओं को निरस्त एवं स्थगित करने की सिफारिश की गई थी। इसमें 10वीं के बच्चों को पिछले परर्फोरमेंस के आधार पर पास माना जाएगा। जबकि 12 वीं के छात्रों की परीक्षा के लिए स्थिति कुछ सामान्य होने के बाद अलग से परीक्षा तिथि तय की जाएगी। सचिव ने बताया कि 12वीं के छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुये जल्दी अंतिम निर्णय लिया जायेगा। जिससे उन्हें भविष्य में कोई परेशानियों का सामना न करना पडे।

दो लाख 70 हजार से अधिक परीक्षार्थी 

उत्तराखंड बोर्ड की 10 वीं और 12 वीं की परीक्षा में दो लाख 70 हजार से अधिक परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। इसमें 10 वीं में 148355 एवं 12 वीं में 122184 परीक्षार्थी पंजीकृत हैं। शिक्षा विभाग की ओर से इनकी परीक्षा के लिए प्रदेश भर में 1347 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। लेकिन शिक्षा विभाग की लेट लतीफी के कारण प्रदेश सरकार को यह निर्णय लेना पडा। जबकि प्रदेश में जिस समय स्थिति सामान्य थी तब विद्यालयी शिक्षा विभाग कोई निर्णय नही ले पाया।