बड़ी खबर: 9 नवम्बर फिर होगा ऐतिहासिक दिन, गैरसैण में होगी स्थापना दिवस की परेड
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत 9 नवम्बर को इतिहास रचने जा रहे हैं। 9 नवम्बर को राज्य के 20 साल के इतिहास में गैरसैण में पहली दफा राजधानी के तौर पर राज्य स्थापना दिवस परेड का आयोजन होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने मार्च में बजट सत्र के दौरान गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया।
उत्तराखण्ड की पहले की सरकारों ने गैरसैण को राजधानी बनाने का सपना दिखाया और इसे राजनैतिक मुद्दा बनाए रखा। कांग्रेस सरकार में सीएम रहे विजय बहुगुणा ने यहां कई अहम भवनों का शिलान्यास भी किया। हरीश रावत की सरकार में ये बनकर भी तैयार हो गए। लेकिन गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने की हिम्मत कोई भी सरकार नहीं दिखा पाई। लेकिन गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का साहसिक फैसला त्रिवेन्द्र सरकार ने ही लिया। त्रिवेन्द्र सरकार ने इसको लेकर व्यापक स्तर पर तैयारी भी की है।
हाई-टेक होगी गैरसैंण की विधानसभा
गैरसैंण में ई-विधानसभा बनेगी। सचिवालय के 17 अनुभाग ई-ऑफिस में बदले जा चुके हैं। ब्लॉक स्तर तक सभी दफ्तर को ई-ऑफिस बनाने का का जारी है।
दशकों पुरानी है गैरसैण को राजधानी बनाने की मांग
गैरसैण को राजधानी बनाने की मांग साठ के दशक से हो रही थी। उस वक्त उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। इस मांग को पहली मर्तबा पेशावर कांड के महानायक वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली ने उठाया था। उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के साथ आंदोलनकारियों ने गैरसैण को उत्तराखण्ड की राजधानी बनाने की मांग उठाई। साल 2000 में उत्तराखण्ड राज्य वजूद में आया लेकिन देहरादून को अंतरिम राजधानी बनाया गया। इसके बाद आंदोलनकारियों ने एक बार फिर पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ पर बनाने के लिए आंदोलन तेज किया। आंदोलनकारी, बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने गैरसैण को राजधानी बनाने को लेकर 13 बार अनशन किया। उनका आखिरी अनशन लगातार 38 दिन तक चला था। इस अनशन के दौरान उनकी मौत हो गई। लेकिन जनभावनाओं के बावजूद भी उत्तराखण्ड की सभी सत्ता-सरकारें गैरसैण को लेकर मामला लगातार टालती रही।
यह मुद्दा लगातार उठते रहने के बाद साल 2001 में तिवारी सरकार ने जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित की अगुवाई में एक सदस्यीय आयोग गठन किया। राज्य की राजधानी चुनने के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प चुनने की जिम्मेदारी दीक्षित आयोग को सौंपी गई। अगस्त 2008 में इसकी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में विषम भौगोलिक दशाओं, भूकंपीय आंकड़ों तथा अन्य कारकों पर विचार करते हुए कहा गया था कि गैरसैंण स्थायी राजधानी के लिए सही स्थान नहीं है। आयोग ने राज्य के गठन के साथ अंतरिम राजधानी बनाए गए देहरादून को ही स्थायी राजधानी बनाए जाने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान बताया था।
इधर राज्य की जनता राजधानी को लेकर छला महसूस करने लगी। इसके बाद ‘पहाड़ की राजधानी पहाड़ में’ का नारा बुलंद हुआ। आंदोलकारियों ने राजधानी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे राजनैतिक मसला बताकर मामले की सुनवाई से मना कर दिया। 2017 विधान सभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने ’विजन डाक्यूमेंट’ में गैरसैण को राजधानी बनाने का जिक्र किया। विजन डाक्यूमेंट के मुताबिक मार्च 2020 के बजट सत्र में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बजट सत्र में गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया। और इस तरह जनता की सालों पुराना सपना साकार हुआ।