बड़ी खबर: प्रधानमंत्री मोदी ने बटन दबाया लेकिन किसानो तक कुछ नहीं पहुंचा
68 महिने में 168 योजनाओं का एलान । यानी हर 12 दिन में एक योजना का एलान । तो क्या 12 दिन के भीतर एक योजना पूरी हो सकती है या फिर हर योजना की उम्र पांच बरस की होती है तो आखरी योजना जो अटल भू-जल के नाम पर 25 दिसंबर 2019 में एलान की गई उसकी उम्र 2024 में पूरी होगी । या फिर 2014 में लालकिले के प्राचीर से हर सासंद को एक एक गांव गोद लेने के लिये जिस ‘सासंद आदर्श ग्राम योजना’ का एलान किया गया उसकी उम्र 2019 में पूरी हो गई और देश के 3120 [ लोकसभा के 543 व राज्य सभा 237 सासंद यानी कुल 780 सांसदो के जरीये चार वर्ष में लेने वाले गांव की कुल संख्या ]गांव सासंद निधि की रकम से आदर्श गांव में तब्दिल हो गये । लेकिन ये सच नहीं है । सच ये है कि कुल 1753 गांव ही गोद लिये गये और बरस दर बरस सासंदो की रुची गांवो को गोल लेकर आदर्श ग्राम बनाने में कम होती गई । मसलन पहले बरस 703 गांव तो दूसरे बरस 497 गांव , तीसरे बरस 301 गांव और चौथे बरस 252 गांव सासंदो ने गोद लिये ।
2019 में किसी भी सांसद ने एक भी गांव को गोद नहीं लिया
पांचवे बरस यानी 2019 में किसी भी सांसद ने एक भी गांव को गोद नहीं लिया । लेकिन सच ये भी पूरा नही है । दरअसल जिन 1753 गांव को आदर्श ग्राम बनाने के लिये सांसदो ने गोद लिया उसमें से 40 फिसदी गांव यानी करीब 720 गांव के हालात और बदतर हो गये । ये कुछ वैसे ही है जैसे किसानो की आय दुगुनी करने के लिये 2013 में वादा और 2015 में एलान के बाद किसानो की आय देशभर में साढे सात फिसदी कम हो गई । लेकिन आंकडो के लिहाज से कृर्षि मंत्रालय ने और सरकार ने समझा दिया कि किसानो की आय डेढ गुनी बढ चुकी है जो कि 2022 तक दुनगुनी हो जायेगी । जाहिर है आकंडो की फेरहसित् ही अगर सरकार की सफलता हो जाये और जमीनी हालात ठीक उलट हो तो सच सामने कैसे आयेगा । यही से नौकरशाही , मीडिया , स्वायत्त व संवैधानिक संस्थानो की भूमिका उभरती है जो चैक एंड बैलेस का काम करते है ।
लेकिन सभी सत्तानुकुल हो जाये या फिर सत्ता ही सभी संस्थानो या कहे लोकतंत्र के हर पाये को खुद ही परिभाषित करने लगे तो फिर सत्ता या सरकार के शब्द ही अकाट्य सच होगें ।दरअसल इस हकीकत को परखने के लिये 2 जनवरी 2020 को कर्नाटक के तुमकर में प्रधानमंत्री मोदी के जरीये बटन दबाकर 6 करोड किसानो के बीच 12 हजार करोड की राशी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत बांटने के सच को भी जानना जरुरी है । चूकि ये सबसे ताजी घटना है तो इसे विस्तार से समझे क्योकिनये साल के पहले दो दिन यानी 1-2 जनवरी 2020 को लगातार ये खबरे न्यूज चैनलो के स्क्रिन पर रेगती रही और अखबारो के सोशल साइट पर भी नजर आई कि प्रदानमंत्री मोदी नये साल में किसानो को किसान सम्मान निधि का तोहफा देगें ।
आंकडो की बजीगरी , 6 करोड किसानो के खाते में दो हजार रुपये पहुंचा दिये है
और तुमकर में अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने बकायदा एलान भी किया उन्होने बटन दबाकर कैसे एक साथ 6 करोड किसानो के खाते में दो हजार रुपये पहुंचा दिये है । जाहिर है ऐसे में सरकार की सोशल साइट जो कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के ही नाम से चलची है उसमें ये आंकडा तुरंत आ जाना चाहिये । लेकिन वहा कुछ भी नहीं झलका । और आंकडो की बजीगरी में से साफ लगा कि जो बटन दबाया गया वो सिर्फ आंखो में घूल झौकने के लिये दबाया गया । क्योकि सरकार की सोशल साइट जो हर दिन ठिक की जाती है उसका सच ये है कि उसमें पहले दिन से लेकर आखरी दिन तक जो भी योजना के बारे में कहा गया या योजना को लागू कराने के लिये जो हो रहा है उसे दर्ज किये जाता है । बकायदा दर्जन भर नौकशाह उसे ठीक करते रहते है । लेकिन किसान सम्मान निधि का सच ये है कि 1 दिसबर 2018 को पहली किस्त के साथ इसे लागू किया गया । हर चार महीने में दो हजार रुपये कि किस्त किसान के खाते में जानी चाहिये । तो दूसरी किस्त 1 अप्रैल 2019 को गई । तीसरी किस्ता 1 अगस्त 2019 को गई और चौथी किस्त 1 दिसबंर 2019 को गई जिसकी मियाद 31 मार्च 2020 तक है यानी अब बजट में अगर सम्मान निधि की रकम जारी रखने के लिये 75000 करोड का इंतजाम किया जायेगा तो ये जारी रहेगी अन्यथा बंद हो जायगी । लेकिन उस जानकारी के सामानातंर जरी सच समझ लिजिये । प्रधानमंत्री ने कौन सा बटन बदाया और किन 6 करोड किसानो को लाभ मिला इसका कोई जिक्र आपको किसी सरकारी साइट पर नहीं मिलेगा । अगर सरकारी आंकडो को ही सच मान ले तो कुल किसान लाभार्थियो की संख्या देश में करीब साढे आठ करोड [ 8,54,30,667 ] है । जिन्हे दिसबंर 2019 से मार्च 2020 की किसत मिली है उनकी संख्य़ा तीन करोड से कम [ 2,90,02,545 ] है ।
यानी छह करोड तो दूर बल्कि जो बटन दबाया गया उसका कोई आंकडा इस किस्त में नहीं जुडा । क्योकि ये आंकडा सरकारी साइट पर 15 दिसंबर से ही रेंग रहा है । और हर दिन सुधान के बाद भी जनवरी में इसमें कोई बढतरी हुई ही नहीं है । असल में योजनाओ का लाभ भी कैसे कितनो को देना है ये भी उस राजनीति का हिस्सा है जिस राजनीति का शिकार भारत हर नीति और अब तो कानून के आसरे हो चला है । क्योकि झारखंड में 1 दिसंबर 2019 से 31 मार्च 2020 की किस्त किसी भी किसान को नहीं मिली । जबकि झरखंड में जिन किसानो का सम्मान निधि के लिये रजिस्ट्रशन है , उनकी संख्या 15 लाख से ज्यादा [ 15,09,387 ] है । और इसी तरह मध्यप्रदेश के 54,02,285 किसानो का रजिसट्रशन सम्मान निधि के लिये हुआ है लेकिन चौथी किस्त [ 1-12-2019 से 31-3-2020 ] सिर्फ 85 किसानो को मिली है । महाराष्ट्र में भी करीब 81 लाख [81,67,923 ] किसानो में से 15 लाख [ 15,28,971 ] किसानो को ये किस्त मिली और यूपी में करीब दो करोड [1,97,80,350 ] किसानो में से करीब 77 लाख किसानो को ये किस्त मिली ।
दरअसल योजनाओ का एलान कैसे उम्मीद जगाता है और कैसे राजनीति का शिकर हो जाता है । ये खुला खेल अब भारत की राजनीति का अनूठा सच हो चला है । क्योकि ममता बनर्जी ने बंगाल के किसानो की सूची नहीं भेजी तो बगाल के किसी किसान को सम्मान निधि का कोई लाभ नहीं मिला । और बाकि राज्यो में जहा जहा बीजेपी चुनाव हारती गई वहा वहा किसानो को लाभ मिलना बंद होते गया ।