बड़ी खबरःउत्तराखंड: प्रस्तावित फीस ऐक्ट पर 03 जुलाई तक दें सुझाव
पब्लिक स्कूलों के लिए प्रस्तावित फीस ऐक्ट का प्रारूप सार्वजनिक करने के एक सप्ताह बाद सरकार ने लोगों से इस पर सुझाव भी मांगे हैं। शिक्षा निदेशालय ने इसके लिए ईमेल और डाक पता जारी कर तीन जुलाई तक सुझाव देने के लिए कहा है। शिक्षा विभाग ने बीते सप्ताह ही प्रस्तावित फीस ऐक्ट का प्रारूप जारी किया था। तब सरकार इस प्रारूप को अंतिम रूप देने से पहले हितधारकों (अभिभावक, शिक्षण संस्थानों) की राय लेना चाह रही है। इसलिए अब शिक्षा विभाग ने बुधवार को ईमेल आईडी और पता जारी करते हुए लोगों को 15 दिन में सुझाव देने को कहा है। फिर इन सुझावों पर शिक्षा सचिव की अध्यक्षता वाली समिति विचार करेगी। इसके बाद इस ऐक्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। सरकार इसे अगले सत्र में लागू करने की तैयारी में है। इससे पहले इस ऐक्ट को विधानसभा में रखा जाएगा। इधर, पब्लिक स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए जिलास्तरीय समितियों का गठन भी शुरू हो गया है। हर जनपद में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति गठित की गई है।
यहां भेजिए डाक
शिकायत एवं सुझाव प्रकोष्ठ
शिक्षा निदेशालय (माध्यमिक)
ननूरखेड़ा, तपोवन (देहरादून)
ईमेल आईडी: vidyalayashikayatsujhav@gmail.com
देहरादून के प्राइवेट स्कूल फीस ऐक्ट के विरोध में
कई निजी स्कूल संचालक प्रस्तावित फीस ऐक्ट के विरोध में उतर चुके हैं। उन्होंने कहा कि सरकार उनकी नहीं सुनेगी तो मजबूरन स्कूलों को बंद करना पड़ेगा। अभिभावकों को राहत देने के लिए हाल ही में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने फीस ऐक्ट लाने की बात कही थी। मगर, प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन (पीपीएसए) से जुड़े निजी स्कूल संचालकों के अनुसार, सरकार का यह फैसला राज्यहित में नहीं। इस ऐक्ट को लाने की क्या जरूरत है, जब सरकार के पास पहले ही पूरी ताकत है। निजी स्कूल बेहतर काम कर रहे हैं। यदि कोई स्कूल नियमों का पालन नहीं करता है तो सरकार या शिक्षा विभाग उसके खिलाफ एक्शन ले सकते हैं। लेकिन, सभी स्कूलों को एक जैसा मानना गलत है। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि निजी स्कूलों से कई लोगों को रोजगार मिल रहा है। उत्तराखंड के 10 हजार स्कूलों में 40 हजार से ज्यादा कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि यदि इस तरह के नियम उन पर सरकार थोपती रही तो फिर एसोसिएशन से जुड़े राज्य के 170 स्कूलों को मजबूरन बंद करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
सरकारी स्कूलों पर ध्यान दें
पीपीएसए ने कहा कि सरकार को निजी स्कूलों से कहीं ज्यादा सरकारी स्कूलों की तरफ ध्यान देना चाहिए, जहां छात्रों की घटती संख्या, जर्जर होते भवन के प्रति सरकार गंभीर नहीं। सरकार ने फीस ऐक्ट के लिए डीएम और अभिभावकों को समिति में शामिल किया, मगर निजी स्कूलों से राय नहीं ली। पीपीएसए से जुड़े राज्य के निजी स्कूल संचालक हाल में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से भी मिले थे। एसोसिएशन अध्यक्ष प्रेम कश्यप
ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने मांगों पर उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है।