बड़ी ख़बरः ऊर्जा निगम में सरकार के खिलाफ उठे विरोध के स्वरः सर्विस चार्ज बना गले की फांस
देहरादूनः उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन द्वारा राजधानी देहरादून में बैठक का आयोजन किया। संगठन द्वारा आयोजित बैठक में राज्य सरकार के फैसले पर अपत्ति जताई गई। दरसअल राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट में उपनल संविदा कार्मिकों को मिलने वाले यात्रा भत्ता पर सर्विज चार्ज न दिये जाने का प्रस्वात लाया गया। जिसे लेकर उपनल संविदा कर्मियों में भारी रोष है। ऊर्जा भवन में आयोजित बैठक में उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने सरकार की नीतियों धज्जियां उडाई।
बैठक में कैबिनेट द्वारा उपनल संविदा कार्मिकों के वेतन के सम्बन्ध मंे लिये गये निर्णय तथा ऊर्जा निगमों द्वारा बिजली घरों, बिजली लाईनों, मीटर रीडिंग, कैश कलैक्शन का कार्य निजी हाथो में दिये जाने पर चर्चा हुई। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि राज्य कैबिनेट द्वारा उपनल संविदा कार्मिकों प्रोत्साहन करने के बजाय कार्मिकों को हतोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने उपनल कर्मियों को मिलने वाले यात्रा भत्ता पर सर्विस चार्ज न लिये जाने का निर्णय लिया है। जो कि उपनल संविदा कार्मिकों और उन पर आश्रित परिजनों के साथ भद्दा मजाक है। कवि ने आरोप लगाया कि उपनल संविदा कार्मिकों की कुल संख्या में से 1 प्रतिशत कार्मिकों को भी यात्रा भत्ता नहीं मिलता है और सर्विस चार्ज का भुगतान विभागों/निगमों द्वारा ही किया जाता है न कि संविदा कार्मिकों द्वारा, इस लिये इसका सीधा लाभ विभागों/निगमों को होगा न कि संविदा कार्मिकों को।
बैठक को संबोधित करते हुए कवि ने कहा कि उपनल संविदा कार्मिकों के वेतन सम्बन्धि घोषणा से पूर्व शासन मंे बैठे अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखा और उन्हें पूरे तथ्यों से अवगत नहीं कराया क्योंकि उत्तराखण्ड शासन द्वारा उपनल संविदा कार्मिकों के मानदेय वाले शासनादेश में पांच तरह की श्रेणियां है इन्ही श्रेणियों के आधार पर वेतनमान नियत किया गया है लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा राज्य स्थापना दिवस पर की घोषणा के अनुसार वेतन 500 रूपये प्रतिदिन दिया जाना समझ से परे हैं कि आखिर किस श्रेणी वाले को 500 रू0 प्रतिदिन के हिसाब से वेतन दिया जायेगा।