September 22, 2024

बड़ी ख़बरः विवादित कुलसचिव की पुनः प्रतिनियुक्ति में क्यों दिलचस्पी ले रहा है शासन…?

देहरादूनः प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलसचिव पद हमेशा विवादों में रहे हैं। इन पदों पर शासन ने जिसे भी नियुक्त किया उसकी नियुक्ति पर प्रश्नचिह्न उठते रहे हैं। इस बार मामला श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से जुड़ा है। जहां कुल सचिव पद पर तैनात दीपक कुमार को दोबारा प्रतिनियुक्ति दिये जाने की तैयारी है। दीपक कुमार की नियुक्ति पहले भी विवादों में रही। उन पर नियम विरूद्ध नियुक्ति पाने के गंभीर आरोप लगे हैं। लेकिन बावजूद इसके शासन और सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया और दोबारा पुनः प्रतिनियुक्ति दिये जाने की प्रक्रिया जोरों पर है। किसी खास व्यक्ति को कुलसचिव पद पर तैनाती देना उच्च शिक्षा जैसे महकमे में कितना जरूरी है यह सोचनीय विषय है।

इस नियम को ताक पर रख शासन कैसे देगा पुनः प्रतिनियुक्ति

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव दीपक कुमार न सिर्फ अपनी नियुक्ति को लेकर विवादों में है बल्कि कुलसचिव पद पर रहते हुए उन पर कई गंभीर आरोप भी लगे हैं। कई मामलों का संज्ञान स्वयं राजभवन द्वारा लिया गया। राजभवन द्वारा कुलसचिव पर लगाये गये आरोपों की जांच शासन स्तर पर करवाई गई है। लेकिन इसके बावजूद भी शासन स्तर पर दोबारा विवाद खड़ा किया जा रहा है। इसके लिए शासन स्तर कुछ अधिकारी युद्ध स्तर पर जुटे है। जबकि नियमानुसार कुल सचिव को पुनः प्रतिनियुक्त करने के लिए उच्च शिक्षा की केंद्रीकृत प्रशासनिक नियमावली-2006 की धारा 20(5) बाधा बन रही है। लेकिन इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री के कंधे पर बंदूक रख विवादित कुलसचिव को तैनाती दिये जाने की कोशिशें जोरों पर है।

नियुक्ति नियमावली

कहा तो यह भी जा रहा है कि कुलसचिव को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का करीबी बता कर शासन के अधिकारियों पर दबाव डाला जा रहा है, जिसके तहत कुलसचिव की पत्रावली को कुलपति के अनुमोदन से पहले ही मंत्रालय स्तर तक बाई हैंड पहुंचा दी गई है। जबकि नियमानुसार अशासकीय महाविद्यालय के प्रवक्ता की किसी भी सरकारी विश्वविद्यालयों में प्रतिनियुक्ति संभव नहीं हैं। साथ-साथ दीपक कुमार को कुलसचिव पद हेतु आवश्यक 15 वर्षों का प्रशासनिक अनुभव भी नहीं है। प्रथम प्रतिनियुक्ति के समय भी प्रदेश के मुखिया को सम्मुख आवश्यक नियम/ परिनियम तथा शैक्षिक योग्यता संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये। जिस कारण दीपक कुमार की प्रतिनियुक्ति विवादों रही।

इस फोटो से किया गया ब्लैकमेल

दीपक कुमार जब पहली प्रतिनियुक्ति के समय कुल सचिव पद पर तैनात हुए , तो उन्होंने कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करते हुए अपनी फेसबुक आईडी तथा व्हट्सअप की डिस्प्ले प्रोफाइल पर न सिर्फ प्रदेश के मुखिया बल्कि उच्च शिक्षा विभाग के मुखिया के साथ खींची गई फोटो इस्तेमाल कर विश्वविद्यालय से संबंद्ध संस्थानों के प्रबंधकों को अपनी ऊंची पहचान का हवाला देकर अवैध वसूली का प्रपंच रचा।

कुल सचिव दीपक कुमार पर विश्वविद्यालय के मुखिया के आदेशों की अवहेला करने के अलावा अधीनस्थ कर्मचारियों को अनावश्यक प्रताड़ित करना व विश्वविद्यालय की गोपनीय दस्तावेजों को तथाकथित न्यूज चैनलों, न्यूज पोर्टलों और अखबारों तक पहुंचाने के अनेकों आरोप लगते रहे हैं।

शासन द्वारा भले ही दीपक कुमार को विश्वविद्यालय का कुल सचिव बनाया गया हो लेकिन एक वर्षीय कार्यकाल के दौरान उनकी आयोग्यता के चलते विश्वविद्यालय को खासा नुकसान उठाना पड़ा है। विश्वविद्यालय में पदों के सृजन व सृजित पदों पर नियुक्ति के साथ-साथ संबद्धता के मामले फाइलों में सिमट कर रह गये हैं। इसके बावजूद भी यदि शासन स्तर पर विश्वविद्यालय के प्रस्ताव व संस्तुति के बिना पुनः प्रतिनियुक्ति विस्तार की पत्रावली बढ़ाये जाना नियम विरूद्ध है।

शासन द्वारा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में कुल सचिव पद पर पुनः प्रतिनियुक्ति विस्तार दिये जाने पर कई सामाजिक संगठन, छात्र संगठन और शिक्षाविदों में भारी नाराजगी है। विभिन्न संगठनों और आरटीइआई कार्यकत्र्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर शासन कुल सचिव पद पर नियम विरूद्ध प्रतिनियुक्ति देता है तो वह कोर्ट में सरकार और शासन को घसीटेंगे। जिससे सरकार की फजीयत होना निश्चित है।


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