बिहार विधानसभा चुनाव: डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने ‘खादी’ के लिए छोड़ी खाकी
बिहार के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडे, जो हाल ही में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में ‘सक्रिय’ भूमिका के लिए सुर्खियों में थे, ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। रिटायर होने से कुछ महीने पहले हीं उन्होंने घोषणा कर दी।
1987-बैच के आईपीएस अधिकारी के आवेदन को नीतीश सरकार ने स्वीकार कर लिया है। सीएम नीतीश कुमार ने एस के सिंघल को उनकी जगह पर डीजीपी प्रभारी नियुक्त किया है। मंगलवार रात जारी गृह (पुलिस) विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि 22 सितंबर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की मांग करने वाले गुप्तेश्वर पांडे के आवेदन को कम से कम तीन महीने पहले इस तरह के आवेदन जमा करने के मानदंड में छूट देकर स्वीकार कर लिया गया है।
गुप्तेश्वर पांडे के इस्तीफे ने कई लोगों को आश्चर्यचकित नहीं किया है। क्योंकि बिहार में सत्ता गलियारों के बाहर और भीतर, इस बात की अटकलें पहले से हीं लगाई जा रही थी कि वो बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम होने को लेकर खादी के लिए खाकी छोड़ने को तैयार थे।
जनवरी 2019 में बिहार के डीजीपी बने पांडे अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले थे। उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी है कि वो बुधवार की शाम 6 बजे “मेरी कहानी मेरी ज़ुबानी” बताने के लिए फेसबुक लाइव करेंगे। जिसमें वोआगे की रणनीति को लेकर खुलासा करने की संभावना है।
हालांकि, उनके इस्तीफे का समय राजनीति में उनके शामिल होने में कुछ ही संदेह रह गया है। पहले से ही इस बात की चर्चा है कि वो भोजपुर या अपने मूल बक्सर जिले से चुनाव लड़ सकते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि वो नीतीश कुमार की सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल-यूनाइटेड में शामिल होंगे या भाजपा में। राज्य में भाजपा जेडीयू के साथ गठबंधन में है। दो दिनों पहले, उन्होंने बक्सर जिले के जेडीयू अध्यक्ष विंध्याचल कुशवाहा से मुलाकात की थी, हालांकि उन्होंने उस समय जोर देते हुए कहा था कि उनका चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।
हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब गुप्तेश्वर पांडे ने वीआरएस लिया हो। हालांकि इस बार उनके रिटायर होने में कुछ ही महीने बचे थे। इससे पहले उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था। बक्सर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि, वो टिकट पाने में नाकाम रहें,क्योंकि भगवा पार्टी ने अपने अनुभवी उम्मीदवार लालमुनी चौबे को मैदान में उतार दिया था। चौबे लालकृष्ण आडवाणी के विश्वासपात्र थे। इस चुनावों में आडवाणी भाजपा का नेतृत्व कर रहे थे।
हालांकि चौबे राजद के जगदानंद सिंह से चुनाव हार गए थे, जबकि गुप्तेश्वर पांडे ने स्पष्ट रूप से सोचा था कि कुछ वर्षों के लिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को ताक पर रखना बुद्धिमानी होगी। उन्होंने लगभग नौ महीने के बाद अपने त्याग पत्र को वापस लेने की मांग की, जिसे नीतीश कुमार सरकार ने मंजूरी दे दी।
बीते कुछ महीनों में, सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में बिहार पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस के बीच टकराव के कारण गुप्तेश्वर पांडे विवाद के केंद्र में बने रहें। पांडे ने सुशांत के पिता ने पटना में रिया चक्रवर्ती और अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप दर्ज कराने के बाद बिहार पुलिस की एक टीम को जांच के लिए मुंबई भेजी थी।
हालांकि, महाराष्ट्र पुलिस ने कथित तौर पर बिहार पुलिस के अधिकार क्षेत्र पर विवाद के बाद अपनी जांच को रोक दिया और यहां तक कि पटना के एसपी विनय तिवारी को क्वारेंटाइन कर दिया। उस समय पांडे ने मुंबई पुलिस पर जांच में सहयोग न करने का आरोप लगाया था। साथ उन्होंने बिहार में जन्मे दिवंगत अभिनेता को न्याय दिलाने की कसम खाई थी। सुशांत ने 14 जून को मुंबई में अपने बांद्रा स्थित घर में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। महाराष्ट्र की सत्तारूढ़ दल शिवसेना ने उन पर राज्य के डीजीपी की तरह नहीं, बल्कि एक राजनीतिक कार्यकर्ता की तरह काम करने का आरोप लगाया था। राज्य के एक शीर्ष अधिकारी के तौर पर वो कई वर्षों से विवादास्पद, पुलिस की कार्यशैली को अपनाने के लिए जाने जाते रहे हैं।
बिग बॉस सीजन 12 से प्रसिद्धि पाने वाले मुजफ्फरपुर के गायक दीपक ठाकुर ने “डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, रॉबिन हुड बिहार के” गाने को गाया है। जो दबंग पुलिस के रूप में प्रस्तुत करता है। बिना कहे इस बात को माना जा सकता है कि यदि वो औपचारिक रूप से राजनीति में शामिल हो जाते हैं तो आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में एक अभियान के तौर पर काम आएगा।