जन्मदिन विशेष: लोकहित के फैसलों पर सदा अटल और अडिग रहे पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र
देहरादून। पूर्व सीएम और भाजपा नेता त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जन्म दिवस पर प्रदेशभर से उन्हें जनमबार की शुभकामनाएं मिल रही है। मंगलवार को त्रिवेन्द्र सिंह रावत के जन्म दिवस पर प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महेन्द्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री डॉ० धन सिंह रावत, मेयर सुनील उनियाल गामा, महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल समेत भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शुभकामनाएं दी है। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने जन्म दिवस के अवसर पर बालावाला में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसके अलावा पूर्व सीएम ने कुष्ठ रोगियों को कंबल खाद्य सामग्री आदि का वितरण किया।
उत्तराखण्ड की राजनीति में बड़ा नाम
वरिष्ठ भाजपा नेता सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत देश-प्रदेश की राजनीति में बड़ा नाम है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रहे त्रिवेन्द्र सिंह रावत का राजनीतिक सफर बड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। जिसमें विवादों के साथ उनके नाम कई उपलब्धियां भी शामिल है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से अपनी सामाजिक व राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत 19 साल की उम्र में ही आरएसएस के साथ जुड़ गए थे। यहां से उन्होंने एक प्रचारक से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म 20 दिसंबर 1960 को पौड़ी जिले की खैरासैंण गांव में हुआ था। त्रिवेंद्र रावत 1979 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और 1985 में वह देहरादून महानगर के प्रचारक बने। इसके बाद 1993 में त्रिवेन्द्र रावत बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री बनाए गए। 1997 में वह बीजेपी के प्रदेश संगठन महामंत्री बने। वहीं 2002 में फिर वह भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री बने।
डोईवाला से पहली मर्तबा बने विधायक
त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत 2002 से की। उत्तराखंड बनने के बाद जब 2002 में उत्तराखंड का पहला विधानसभा चुनाव हुअस तो त्रिवेन्द्र सिंह रावत सक्रिय राजनीति में आ गए। साल 2002 में बीजेपी की तरफ से डोईवाला विधानसभा से टिकट मिला। इस चुनाव में त्रिवेंद्र रावत पहली मर्तबा विधानसभा पहुंचे। वहीं साल 2007 में भी त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। इस दौरान बीजेपी की सरकार बनने के बाद उन्हें उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया। वहीं साल 2012 के चुनाव में वह रायपुर से उम्मीदवार बनाए गए, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
2014 में यूपी फतेह और झारखंड की जीत में निभाई अहम भूमिका
2014 में केंद्रीय सत्ता में वापसी के लिए जब बीजेपी ने यूपी जीतने का प्लान बनाया, तो उसमें त्रिवेन्द्र सिंह रावत की भूमिका अहम रही। इससे पहले ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत रावत को बीजेपी राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय कर चुकी थी। साल 2014 से पहले जब मौजूदा गृहमंत्री अमित शाह को यूपी चुनाव की जिम्मेदारी मिली तो उन्होंने अपनी टीम में त्रिवेन्द्र सिंह रावत को शामिल किया। और उन्हे उत्तर प्रदेश का सहप्रभारी बनाया गया। त्रिवेन्द्र सिंह रावत की बेहतर रणनीति और नेतृत्व क्षमता का बीजेपी बड़ा फायदा मिला जिसका नतीजा रहा कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में बेतहर प्रदर्शन किया और केन्द्र में सरकार बनाई। वहीं इसके बाद बीजेपी आलाकमान ने उन पर भरोसा दिखाते हुए उन्हे झारखंड विधान चुनाव के लिए झारखंड का प्रभारी बनाया गया। जहा त्रिवेन्द्र सिंह रावत के बेहतर रणनीति और चुनाव प्रबंध कौशल के चलते बीजेपी की सरकार में वापसी हुई।
साल 2017 में बने मुख्यमंत्री
यूपी में बीजेपी का बेहतर प्रदर्शन और झारखंड में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाने का फायदा त्रिवेन्द्र सिंह रावत को साल 2017 में मिला। इस चुनाव में त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक बार फिर डोईवाला से चुनाव मैदान में उतरे और विजयी होकर विधानसभा पहुंचे। विधायक दल की बैठक में उन्हें नेता चुना गया। जिसके बाद त्रिवेन्द्र सिह रावत उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बने।
सीएम रहते शुरू की लोकप्रिय योजनाएं
पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत हालांकि अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये। लेकिन उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान उत्तराखण्ड की जनभावनाओं की मुताबिक कई योजनाओं को शुरू किया। जिसके चलते उनका कार्यकाल ऐतिहासिक रहा। त्रिवेन्द्र सिंह रावत राजनीति में कड़े फैसलों के लिए जाने जाते हैं। गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाये जाना उनमें से उनके कार्यकाल का ऐतिहासिक फैसला रहा। पूर्व की सरकारें गैरसैण को लेकर राजनीति के नफा-नुकसान के हिसाब से फैसले लेते रहे लेकिन त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इस नफा-नुकसान की परवाह किये बगैर गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी की ऐतिहासिक घोषणा की।
अटल आयुष्मान योजना और हर घर जल की योजना उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्ध्यिों में एक मानी जाती जिसका लाभ प्रदेश की जनता ले रही है। देवस्थानम् बोर्ड की स्थापना का फैसला बतौर सीएम रहते त्रिवेन्द्र सिंह रावत का सबसे कड़ा फैसला बताया जाता है। जिसमें उन्होंने राजनीति का नफा नुकसान की परवाह किये जनहित में फैसला लिया। हालांकि उनके बाद आने वाले सीएम इतना बड़ा साहस नहीं दिखा पाये।