September 22, 2024

उत्तराखण्ड में अपने ही प्रयोगों में घिरी भाजपा, तीन-तीन सीएम बदलने का देना होगा जवाब

प्रखर प्रताप मिश्रा

भाजपा उत्तराखण्ड में अपने ही प्रयोगों में घिर गई है। तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने से पार्टी कई खेमों में बंट गई है। इस सूरत में 70 विधान सभा वाले उत्तराखण्ड में विधान सभा चुनाव 2022 में भाजपा का जीत दोहराना अब मुश्किल नजर आ रहा है। आपसी गुटबंदी, महंगाई, बेरोजगारी तीन-तीन मुख्यमंत्रियों का बदलना, योजनाओं का वक्त पर पूरा ना होना इसके कारण हैं।

प्रखर प्रकाश मिश्रा

पीएम मोदी और मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के लिए कई हजार करोड़ की घोषणाएं भी की है, लेकिन इन घोषणाओं का जमीनी स्तर पर असर कम दिखाई देता है। पीएम मोदी की देहरादून रैली में भीड़ भी कम दिखाई दी। जो साबित करता है कि अब युवाओं और महिलाओं में ‘मोदी मैजिक’ का असर कम होने लगा है। वहीं भाजपा के नेता अपने बड़बोलेपन के चलते पार्टी की छवि को धूमिल करने में तुले हुए हैं। भाजपा के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल का बयान इन दिनों सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने ‘हरामखोर’ शब्द का इस्तेमाल कर अच्छी मिसाल पेश नहीं की है।

ऐसे हालातों में भाजपा को सत्ता में वापिसी करनी है तो पार्टी को महिला शक्ति को साथ लेना होगा। महिलाएं हमेशा से ही साफ-सुथरा शासन और सुरक्षित माहौल चाहती हैं। भाजपा आंगनबाडी कार्यकत्रियों, भोजनमाताओं, टीचर एशोसिएशन, अधिवक्ताओं के बीच जाकर एक बार फिर मुख्यधारा में आ सकती है।
भाजपा को हरिद्वार, ऋषिकेश के पण्डा पुजारियों और तीर्थ पुरोहितों का जल्द से जल्द सम्मेलन बुलाना होगा। प्रदेश सरकार ने देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन अभी तक इसको लेकर कोई सरकारी आदेश जारी नहीं हुआ है।

इसी तरीके से सरकार को छोटे खेती-बाड़ी करने वाले किसानों पर भी ध्यान देना होगा। किसानों को वकई में गन्ना का भुगतान हुआ है या नहीं, ये सुनिश्चित करना होगा। कृषि ़ऋण, बीज खाद और कृषि उपकरण जैसे योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचा है या नहीं ये देखना होगा। कलस्टर आधारित खेती कामयाब हुई है इस पर ध्यान देना होगा।

राज्य में पलायन को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने पलायन आयोग का गठन किया था। लेकिन ये अब सफेद हाथी साबित हो रहा है। ऐसी कोई योजना नहीं बनी है जिससे भुतहा गांव में दुबारा बसावट हो।

इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देना होगा। अल्मोड़ा कोटद्वार, पौड़ी, उत्तरकाशी और त्यूणी जैसे स्थानों में अच्छा स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया करानी होगी। ताकि फिर किसी विधायक को कैबिनेट मंत्री हरक सिंह की तरह सरकार को धमकाने की जरूरत न पड़े।

उत्तराखण्ड की सरकारें प्रदेश को नेशनल गेम्स के लिए अभी तक तैयार नहीं कर पाई हैं। युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए खेलों की तरफ भी ध्यान देना होगा। सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर जल्द से जल्द भर्ती की जानी चाहिए। सेना में भर्ती के लिए कुमाऊं और गढ़वाल का कोटा फिक्स किया जाना चाहिए।

इसके अलावा सरकार को एक जिला एक उत्पाद की योजना को प्रोत्साहन देना चाहिए। इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं हो पाई है। प्रदेश में निर्मित उत्पाद ऊनी कपड़े, रिंगाल की वस्तुएं, मसालें अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान नहीं बना पाये हैं। वहीं इसके मुकाबले पड़ोसी राज्य हिमाचल के उत्पाद अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।

कर्ज में डूबे उत्तराखण्ड को उबारने के लिए प्रदेश सरकार को केन्द्र से विशेष पैकेज की मांग करनी चाहिए तथा उत्तराखण्ड को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए।


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