September 22, 2024

कैंपस न्यूज़ः पहाड़ की तीन शख्सियतों को मानद उपाधि देगा श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय

देहरादूनः श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय पहाड़ की तीन हस्तियों को मानद उपाधि से अलंकृत करेगा। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने बताया कि दो नवम्बर को गोपेश्वर कैंपस में विश्वविद्यालय अपना द्वितीय दीक्षांत समारोह मनायेगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय पद्मश्री सम्मान प्राप्त जागर गायिका बसंती बिष्ट, पद्म भूषण सम्मान से सम्मानित प्रख्यात पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट और सीमांत क्षेत्र में कृषि को तकनीक से जोड़ने वाले महेंद्र सिंह कुंवर को डाॅक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत करेगा। कुलपति ने कहा कि पहाड़ की इन तीन हस्तियों को मानद उपाधि से नवाजना विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात होगी।

पहाड़ में होगा दीक्षांत समारोह

आगामी दो नवम्बर को श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय अपने गोपेश्वर कैम्पस में अपना दीक्षांत समारोह मनायेगा। यह विश्वविद्यालय को दूसरा दीक्षांत समारोह है। इससे पहले विश्वविद्यालय ने अपना पहला दीक्षांत समारोह टिहरी में आयोजित किया। विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने बताया कि वह पर्वतीय क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहते हैं। यही वजह है कि इस बार उन्होंने विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह गोपेश्वर कैंपस में करने का फैसला लिया। उन्होंने बताया कि कई छात्र-छात्राओं नहीं मालूम कि दीक्षांत समारोह होता क्या है। इसलिए उन्होंने पहाड़ में इस आयोजन को करने फैसला लिया। वह बताते हैं कि दीक्षांत समारोह शिक्षकों और छात्र-छात्राओं के लिए कुछ हट के होगा।

वीसी के विजन के केंद्र में पहाड़

डाॅ. उदय सिंह रावत, कुलपति, एसडीएसयूवी

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत का कहना है कि वह हमेशा पहाड़ के विकास के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विकास के रास्ते की बुनियाद एजुकेश के पिलर पर टिकी है। अगर पहाड़ में अच्छी शिक्षा दी जायेगी तो स्वतः ही रोजगार का भी सृजन होगा। पहाड़ से पलायन भी रूकेगा। इसीलिए मेरा हमेशा यही मकसद रहा है कि पहाड़ के लोगों को समान रूप से शिक्षा के अवसर मिले। गोपेश्वर कैंपस में विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह का आयोजन करना यहां के युवाओं को प्रेरित करना है। उनको उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक करना है। डा. रावत ने बताया कि आज तक पहाड़ में ऐसे आयोजन नहीं हुए, हमारे बच्चों को दीक्षांत समारोह का मतलब ही नहीं पता। हमने अपना पहला दीक्षांत समारोह टिहरी में आयोजित किया और अब दूसरा गोपेश्वर में। विश्वविद्यालय पहाड़ की प्रतिभाओं के बीच जाकर एक खास संदेश दे रहा है।

एल्युमिनी मीट में मिलेंगे कई दिग्गज

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के बाद विश्वविद्यालय द्वारा एल्युमिनी मीट का आयोजन किया जायेगा। जिसमें गोपेश्वर कैंपस से पास आउट और विभिन्न क्षेत्रों उत्कर्ष प्रदर्शन करने वाले पूर्व छात्र शिरकत करेंगे। इस दौरान ओल्ड स्टूडेंट कैंपस में बिताए अपने पलों को साझा करेंगे। इस एल्युमिनी मीट में न्यायमूर्ति रविंद्र मैठानी, आईएएस विनोद प्रसाद रतूड़ी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. डीपी डोभाल, पूर्व मुख्य वन संरक्षक डा.आर.बी.एस. रावत, बदरी-केदार मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बी.डी. सिंह, पाणी राखो आंदोलन के प्रणेता सच्चिदानंद भारती, पूर्व रियर एडमिरल ओ.पी.एस.राणा सहित कई हस्तियां शिरकत करेगी। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर काॅलेज के फैकल्टी मेंबर मौजूद रहेंगे। साथ ही सभी का सम्मान किया जाएगा।

शख्सियत का सम्मान

पद्म श्री बसंती बिष्ट

बसंती बिष्ट उत्तराखंड की प्रख्यात लोकगायिका हैं। उन्हें घर-घर में गाये जाने वाले मां नंदा के जागरों को अपनी आवाज दी और उन्हें देश-दुनियां के बीच पहुंचाया। वह महिला सशक्तिकरण की एक रोल माॅडल भी है। चूंकि गांव और पहाड़ में महिलाओं के मंच पर जागर गाने की परंपरा नहीं थी। उन्होंने इस परम्परा को तोड़ कर महिलाओं को आगे आने के लिए प्रेरित किया। उत्तराखंड के लोक संगीत को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने 26 जनवरी 2017 को उन्हें पद्मश्री से विभूषित किया है।

पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट

चंडीप्रसाद भट्ट गांधीवादी पर्यावरणवादी और समाजिक कार्यकर्ता हैं। वह उत्तराखंड की उन शख्सियतों में शुमार है जिन्होंने समाज में नई चेतना पैदा की। भट्ट ने चिपको और सर्वोदय आंदोलन के जरिये समाज को जागरूक किया। उन्होंने गोपेश्वर में ‘दशोली ग्राम स्वराज्य संघ’ की स्थापना की जो कालान्तर में चिपको आंदोलन की मातृ-संस्था बनी। वह रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित होने वाले उत्तराखंड के पहले शख्स है। भारत सरकार ने उनके अप्रितम योगदान के लिए उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से नवाजा।

महेंद्र सिंह कुंवर

महेंद्र सिंह कुंवर उत्तराखंड की खेती-किसानी में परिवर्तन लाने वाले विरले शख्स हैं। उन्होंने प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों में सीमान्त किसानों की आर्थिकी को बेहत्तर बनाने में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने किसानों को पारम्परिक कृषि के साथ तकनीकी का प्रयोग कर कृषि और औद्यानिकी क्षेत्र में क्रांति लाई। महेंद्र कुंवर ने ‘भूमि पर प्रयोगशाला’ माॅडल अपना कर पहाड़ के किसानों को नई राह दी।


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