आउटसोर्सिंग कंपनियों और सविंदा कर्मचारियों की बेफिक्री ज्यादा खतरनाक?

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सौरभ गुसांई

चमोली करंट हादसा घनघोर जानलेवा लापरवाही का परिणाम है। वैसे हम भारतीय जन्म से ही और आदतन ही बेफिक्र होते हैं। ये आप लोग रोजाना सड़क पर बेफिक्री से वाहन चलाते हुए लोग, निर्माणाधीन ऊंची ऊंची इमारतों में बिना सुरक्षा के काम कर रहे लोग और अन्य अन्य बहुत कुछ देखा होगा। तो हम जान की भी ज्यादा परवाह नहीं करते और जब आउटसोर्सिंग कंपनी हो या फिर कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हो तो ये लापरवाही और बेफिक्री कई गुना बढ़ जाती है। हैरत और आश्चर्य इस बात का है कि पुलिसकर्मियों का बिना पॉवर सट डाउन के वहां जाना क्यों हुआ जबकि कभी भी आग की घटना या ऐसी कोई घटना होती है तो पहला काम पॉवर कट करना ही होता है।

अब आप जाइये किसी विभाग में तो सारे काम आउटसोर्सिंग कंपनियों के हवाले किया हुआ है और अधिकांश बेड़ागर्क उन्हीं के द्वारा किया जाता है क्योंकि उनका अंदाज और रवैया हरदम ऐसा होता है कि हम कोई सरकार कोई हैं! कुछ ग़लत किया तो कंपनी का होगा और कंपनी का भी क्या होगा जब हो किसी प्रभावी या सरकार के करीबियों की है। और कुछ हो भी गया तो उसी मालिक की दूसरे नाम की पंजीकृत कपनी को काम चला जायेगा। तो फिर कुछ ही कर लो काम होना वही है जो खीप जाए और भुगतान हो जाये।

अब यही हाल आप विभागों में चले जाइये, एक पक्के कर्मचारी और संविदाकर्मी के अंदाज में कई गुना का अंतर होता है। पक्के कर्मचारी को थोड़ा सा नौकरी जाने का डर रहता है जो कई पापड़ बेलने के बाद उसे मिली होगी और संविदा कर्मी का अंदाज ऐसा रहता है कि मेरा जाएगा ही क्या? जिनके रहमो करम से यहां लगा हूँ उन्हीं के रहमों करम से कहीं और भी लग ही जाऊंगा कौन सा मैं सरकारी नौकर हूँ। जबतक हम अपने दैनिक दिनचर्या में ही लापरवाही नहीं छोड़ेंगे और जिम्मेदारी से कार्य करेंगे तब तब ऐसे हादसे रोकने में हम सक्षम होंगे।

इस जानलेवा लापरवाही के शिकार सभी लोगों की आत्मा की शांति की प्राथना करते हुए हादसे के जिम्मेदार विभाग/कंपनी/आका/कर्मचारी पर एक अनुकरणीय कार्यवाही की मांग करता हूँ।

उद्दीयमान पत्रकार सौरभ गुसांई के फेसबुक वाल से साभार