December 5, 2024

2020 से बदल जाएगा CBSE परीक्षाओं का पैटर्न ।

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नई दिल्ली। देश में अगले साल से CBSE के 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के पैटर्न बदलने जा रहा है। जी हाँ CBSE ने इंटरनल असेस्मेंट पर जोर देने के साथ-साथ कई बड़े बदलाव करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन में सुधार लाने और शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2020 में ये बदलाव करने का फैसला लिया है। संसद में मीडिया से बात करते हुए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने इस बात की जानकारी दी। बोर्ड के इन बदलाव से 2020 में परीक्षाओं की तैयारियों में जुटे स्टूडेंट्स को बड़ी राहत मिलने के साथ-साथ उन्हें परीक्षा में आसानी से अच्छे अंक पाने का मौका भी मिलेगा।
क्या होगा नया पैटर्न-
केन्द्रीय मंत्री के अनुसार वर्ष 2020 में होने वाली 10वीं तथा 12वीं की वार्षिक परीक्षाओं में सभी विषयों में प्रेक्टिकल/आंतरिक मूल्यांकन के लिए अंक निर्धारित किए हैं। इसमें साइकोलोजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री में 30 और हिंदी, अंग्रेजी, अकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडी, इकानोमिक्स, सोशियोलॉजी में प्रेक्टिकल के 20 अंक होंगे. CBSE अपने इवैल्यूएशन प्रोसेस को एरर फ्री बनाने पर विचार कर रहा है।
12वीं की 2020 में होने वाली वार्षिक परीक्षाओं में मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, अकाउंट, सोशियोलॉजी, इकोनॉमिक्स, बिजनेस स्टडीज, साइकोलाजी आदि विषयों में लॉन्ग आंसर प्रश्नों की संख्या में कमी लाई जाएगी. इन विषयों में प्रश्नों के पहले से ज्यादा विकल्प दिए जाएंगे। इससे विद्यार्थियों को प्रश्न पत्र हल करने में सुविधा मिलेगी। ऑब्जेक्टिव प्रश्न ज्यादा आने से हल करने में समय कम लगेगा। ऐसे में बिना प्रेशर के अधिक क्रिएटिव आंसर लिखने के लिए सोचने का समय मिलेगा। इससे छात्रों के लिए परीक्षा में अच्छे अंक पाना आसान हो जाएगा। 10वीं की 2020 में होने वाली सालाना परीक्षा पैटर्न में हिंदी, अंग्रेजी, होम साइंस, गणित, संस्कृत, साइंस और सोशल साइंस के सब्जेक्ट में शोर्ट आंसर प्रश्नों की संख्या में कमी होगी। प्रश्नों के पहले से ज्यादा विकल्प होंग। विद्यार्थियों को सोचने का समय मिलेगा और छात्र अधिक रचनात्मक उत्तर लिख सकते हैं. केन्द्रीय मंत्री के अनुसार इस बदलाव से विद्यार्थियों को केवल रट्टा मारने के बजाय सब्जेक्ट को अच्छे से समझना, याद करना और लागू करना होगा। इससे छात्रों में विश्लेषणात्मक कौशल और तर्क क्षमता विकसित होगी।


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