भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की 133वीं जयंती के अवसर समारोह आयोजित।

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पौडी गढ़वाल। वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली उततराखण्ड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार पौड़ी गढ़वाल में भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य पर एक समारोह का आयोजन किया गया। यह आयोजन उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत एवं क्षेत्रीय विधायक की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजीत कुमार कर्नाटक द्वारा किया गया। समारोह में विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, डाॅ. चन्देश्वर तिवारी, उप-वित्त नियंत्रक, वी.पी. जुगरान सहित विश्वविद्यालय के 100 से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया एवं पंडित जी को पुष्पांजलि अर्पित की गई।

कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत द्वारा दीप प्रज्जवलित कर, पं. गोविन्द बल्लभ पंत जी की फोटो पर माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा मंत्री धन सिंह को पुष्पगुच्छ एवं शाॅल भेंट किया गया। विश्वविद्यालय कुलपति ने उच्च शिक्षा मंत्री का कार्यक्रम में आने पर आभार व्यक्त करते हुये पं. गोविन्द बल्लभ पंत के जीवन का परिचय देते हुये बताया कि पं. पन्त जी का दूर दृष्टि एक प्रमुख गुण था। 1960 में पन्तनगर में एशिया के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना इसका प्रमाण है। इन्हीं सब गुणों व देश की सेवा के लिए पन्त जी को वर्ष 1957 में भारत रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया। पंडित पंत जी के जीवन पर, कार्यों को जन-जन तक विशेष रुप से युवा पीढी तक पहुंचाने के लिये गोविन्द बल्लभ पंत मैमोरियल सोसाइटी ने पांच वर्ष पूर्व पंत पथ के नाम से फेसबुक पर एक पृष्ठ लाॅच किया था, जिस पर जाकर उनसे सम्बन्धित सभी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

उच्च शिक्षा मंत्री द्वारा युवाओं को अवगत कराया गया कि पंत जी की प्रशासनिक क्षमता अद्वितीय थी। जमीदारी प्रथा उन्मूलन इसका एक प्रमुख उदाहरण है। साइमन कमीशन के विरूद्ध जन आन्दोलन खडा करने में भी पंत जी की भूरी-भूरी प्रशंसा हुई थी। इस आन्दोलन में लगी चोटों का दर्द पन्त जी को जीवन पर्यन्त रहा। गाॅधी जी के मूल मंत्र अहिंसा को उन्होंने पूर्णरूपेण अपनाया था। पंडित पन्त कहते थे जीवन अमूल्य है, हर कीमत पर इनकी रक्षा होना आवश्यक है। मंत्री धन सिंह द्वारा युवाओं को पंत जी के जीवन से शिक्षा लेने तथा उसे अपनी जीवनशैली में आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया गया।
विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार, डा0 सी0 तिवारी ने इस अवसर पर जारी देश के गणमान्य विभूतियों के संदेशों को पढ़ा एवं धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन किया।