राष्ट्रगान अनिवार्य करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई,केन्‍द्र ने कहा कि अनिवार्य न हो

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नई दिल्ली। सिनेमाघरों में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान अनिवार्य करने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सर्वोच्च अदलात से अपील की है कि राष्ट्रगान को सिनेमाघरों में बजाना अनिवार्य न किया जाए। आपको बताते चलें कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने नवंबर 2016 को दिये एक आदेश में निर्दश दिए थे कि देश के हर सिनेमाघर में फिल्म चालू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा। इस दौरान सभी दर्शकों को इसके सम्मान में खड़ा होना अनिवार्य था।

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को दाखिल शपथ-पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय के अवर सचिव दीपक कुमार ने कहा कि कोर्ट से आग्रह किया जाता है कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने के आदेश को निलंबित रखा जाए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए चार पेज के हलफनामे में तर्क दिया कि वह एक अंतर मंत्रिमंडलीय समिति का गठन करने जा रहा है। उसकी रिपोर्ट के आधार पर सरकार नए सिरे से अधिसूचना जारी करेगी, तब तक नवंबर 2016 से पहले वाली स्थिति कायम रखी जाए।

इस मामले में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि लोग सिनेमाघर सिर्फ मनोरंजन के लिए जाते हैं। वहां उन्हें अपनी आस्तीन पर राष्ट्रवाद ओढ़कर जाने की जरूरत नहीं है। फ्लैग कोड को लेकर सरकार को एग्जीक्यूटिव आदेश जारी करने चाहिए। कोर्ट इसका बोझ क्यों उठाए? लोग शॉर्ट्स पहनकर सिनेमा जाते हैं, क्या आप कह सकते हैं कि वो राष्ट्रगान का सम्मान नहीं करते। आप ये क्यों मानकर चलते हैं कि जो राष्ट्रगान के लिए खड़ा नहीं होता, वो देशभक्त नहीं होते।

आपको बता दें कि श्याम नारायण चौकसे की याचिका में कहा गया था कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रगान के चलन पर रोक लगाई जानी चाहिए और एंटरटेनमेंट शो में ड्रामा क्रिएट करने के लिए राष्ट्रगान का इस्तेमाल न किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रगान को अंत तक गाया जाना चाहिए और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए।

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