September 22, 2024

केंद्र सरकार ने बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन की 30 करोड़ डोज बुक की, अगस्त-दिसंबर के बीच होगा उत्पादन

केंद्र सरकार ने हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल-ई कंपनी के साथ 30 करोड़ वैक्सीन डोज का करार किया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि वैक्सीन के उत्पादन के लिए कंपनी को 1,500 करोड़ रुपए का एडवांस भुगतान किया जाएगा. बायोलॉजिकल-ई द्वारा वैक्सीन का उत्पादन और स्टोरेज अगस्त-दिसंबर 2021 के बीच किया जाएगा. भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ के बाद देश में यह दूसरी मेड इन इंडिया वैक्सीन होगी.

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बायोलॉजिकल-ई की वैक्सीन अभी क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है. ट्रायल के पहले और दूसरे चरण में बेहतर नतीजे आए थे. बायोलॉजिकल-ई द्वारा बनाई जा रही यह आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है और अगले कुछ महीनों में यह देश में उपलब्ध होगी.

प्री-क्लीनिकल से लेकर फेज-3 ट्रायल तक मिली मदद

स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बायोलॉजिकल-ई की कोविड वैक्सीन को भारत सरकार ने प्री-क्लीनिकल स्टेज से लेकर फेज-3 ट्रायल तक मदद की है. सरकार के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट ने इसके लिए 100 करोड़ रुपए की सहायता राशि भी दी थी. बयान में बताया गया, “भारत सरकार द्वारा यह मदद ‘मिशन कोविड सुरक्षा- द इंडियन कोविड-19 वैक्सीन डेवलेपमेंट मिशन’ के तहत की जा रही है. इस मिशन के तहत 5-6 कोविड वैक्सीन को डेवलेप करने में मदद की जा रही है. ”

वैक्सीन की कमी की शिकायत के बीच केंद्र सरकार बार-बार कह रही है कि अगस्त से दिसंबर 2021 की 5 महीने की अवधि में 2 अरब से अधिक डोज देश में उपलब्ध होंगी, जो पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए काफी होगी. देश में अभी तक सिर्फ दो वैक्सीन- भारत बायोटेक की ‘कोवैक्सीन’ और सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (SII) द्वारा ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की बनाई जा रही ‘कोविशील्ड’ ही मुख्यतौर पर इस्तेमाल में लाई जा रही है. रूस की स्पुतनिक-V वैक्सीन का अभी तक व्यापक रूप से इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है.


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