मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने ऊपर चल रहे केस को वापस लेने का आदेश जारी किया

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उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चल रहे केस वापस लेने के लिए कदम बढ़ाया है. उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध पर रोकथाम के लिए योगी सरकार ने 21 दिसंबर को यूपीकोका कानून का बिल विधानसभा में पेश किया था। इस बिल के पेश होने के बीच ही यूपी सरकार ने योगी आदित्यनाथ, केन्द्रीय मंत्री, शिव प्रताप शुक्ल, विधायक शीतल पांडेय और 10 अन्य के खिलाफ 1995 के एक निषेधाज्ञा उल्लंघन मामले में धारा 188 में लगे केस को वापस लेने का आदेश जारी कर किया। ये आदेश गोरखपुर जिलाधिकारी को केस वापस लेने के लिए दिया गया है।

इसी केस में भाजपा विधायक शीतल पांडे सहित अन्य दस लोगों के खिलाफ केस दर्ज था। तब सभी पर धारा-144 (निषेधाज्ञा) का उल्लंघन करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था। दरअसल साल 1995 में गोरखपुर जिले के पीपीगंज कस्बे में योगी आदित्य नाथ और अन्य लोगों ने निषेधाज्ञा लागू होने के बाद भी धरना दिया था।

इस मामले में योगी के अलावा राकेश सिंह, नरेंद्र सिंह, समीर सिंह, शिव प्रताप शुक्ला, विश्वकर्मा द्विवेदी, शीतल पांडेय, विभ्राट चंद कौशिक, उपेंद्र शुक्ला (वर्तमान में भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष), शंभूशरण सिंह, भानुप्रताप सिंह, रमापति राम त्रिपाठी और अन्य लोगों के खिलाफ धारा 188 में मुकदमा दर्ज हुआ था। वहीं मुकदमा वापस लेने की राज्यपाल से अनुमति मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने जल्द ही इसकी औपचारिकता पूरी करने का निर्देश दिया है।

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