November 25, 2024

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने चम्पावत उपचुनाव के लिए पर्चा किया दाखिल

champwat dhami

चम्पावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव के लिए सोमवार को नामांकन करा दिया है। आरओ और टनकपुर एसडीएम हिमांशु कफल्टिया ने सीएम के नामांकन की प्रक्रिया पूरी की। यहां उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत केंद्रीय मंत्री और कैबिनेट मंत्री के अलावा विभिन्न विधानसभाओं के विधायक मौजूद रहे। नामांकन के बाद सीएम ने गोलज्यू के दरबार में पूजा अर्चना की।

उन्होंने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का दशक है। विकास से जुड़ी कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि पर्वतीय जिलों में बुनियादी सुविधाओं के विकास सहित शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल आदि मुद्दों पर विशेषतौर से फोकस किया जा रहा है।

पुष्कर धामी ने कहा कि भाजपा की ही जीत होगी क्योंकि भारतीय जनता दल सबका विकास-सबका साथ पर विश्वास करती है। सीएम धामी ने कहा कि समाज के हर वर्ग के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। चारधाम यात्रा रूट पर ऑल वेदर रोड और हर नल जल योजना से ग्रामीणों को पेयजल मुहैया कराया जा रहा है।

विधानसभा चुनाव 2022 में खटीमा विधानसभा सीट में हार के बाद पुष्कर सिंह धामी के लिए चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी ने सीट छोड़ी है। चंपावत विधानसभा सीट को भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव की बात करें तो भाजपा के कैलाश गहतोड़ी ने कांग्रेस उम्मीदवार हेमेश खार्कवाल को 5304 वोटों से मात दी थी। कैलाश को 32,547 वोट, जबकि कांग्रेस के हेमेश खर्कवाल को 27,243 वोट मिले थे।

वहीं विपक्षी कांग्रेस उम्मीदवार निर्मला गहतौड़ी 11 मई को नामांकन करने जा रही हैं। नामांकन प्रक्रिया के दौरान कांग्रेस के कई दिग्गज भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस पार्टी का दावा है कि निर्मला की चंपावत उपचुनाव में जीत होगी।

आचार संहिता का उल्लंघन

indresh maikhuri

जाने-माने आंदोलनकारी और भाकपा माले नेता इंद्रेश मैखुरी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी नामांकन के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन किये जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नामांकन के समय भाजपा के चुनाव चिन्ह के साथ नामांकन स्थल पर गए। आम तौर पर यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। नामांकन कक्ष में घुसने से पहले सुरक्षा व्यवस्था में लगे अधिकारियों को पार्टी चिन्ह उतरवाना चाहिए था। नामांकन कक्ष में रिटर्निंग आफिसर को चिन्ह उतरवाना चाहिए था। लेकिन लगता है कि जिम्मेदार अधिकारियों ने स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए हासिल प्राधिकार और दायित्व दोनों को मुख्यमंत्री के चरणों में समर्पित कर दिया!