September 22, 2024

अमेरिका से अत्याधुनिक मिसाइल और लेजर गाइडेड बम खरीदने की तैयारी में भारत

भारत अमेरिका से अत्याधुनिक मिसाइल और लेजर गाइडेड बम खरीदने की तैयारी की है। इसके तहत अमेरिका ने भारत को चार बिलियन डॉलर में 30 सी गार्डियन (निहत्था नौसैनिक संस्करण या यूएवी, जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाया गया प्रीडेटर-बी) देने की पेशकश की है। दूसरी तरफ चीन पाकिस्तान को चार सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति करने की प्रक्रिया में है। वह ऐसा ग्वादर बंदरगाह पर स्थित चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के नौसेना बेस की सुरक्षा करने के लिए कर रहा है। यह बात घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों ने दी है।

ग्वादर, बलूचिस्तान का अत्यधिक प्रतिक्रियाशील दक्षिण-पश्चिमी प्रांत है। यहां चीन ने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत 60 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। पाकिस्तान को दो सिस्टम (प्रत्येक में दो ड्रोन और एक ग्राउंड स्टेशन है) को देने की प्रक्रिया ऐसे समय पर सामने आई है जब दोनों संयुक्त रूप से 48 जीजे-2 ड्रोन का उत्पादन करने की योजना बना रहे है।

48 जीजे-2 ड्रोन विंग लूंग 2 का सैन्य संस्करण है। इसे चीन ने डिजायन किया है और इसका प्रयोग पाकिस्तान की वायुसेना करेगी। चीन पहले से ही एशिया और पश्चिम एशिया में कई देशों में स्ट्राइक ड्रोन विंग लूंग 2 बेच रहा है। वह सशस्त्र ड्रोन के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में उभरा है।
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स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के हथियार हस्तांतरण डेटाबेस के अनुसार, चीन ने 2008 से 2018 तक कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, अल्जीरिया, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित एक दर्जन देशों को 163 यूएवी डिलीवर किए थे। अमेरिका जहां अपने उच्च हथियारों को देते समय एक विस्तृत प्रकिया का अनुसरण करता है। वहीं चीन ऐसा कुछ नहीं करता है।

चीन का यह सशस्त्र ड्रोन 12 एयर-टू-सर्फेस मिसाइल से लैस है। वर्तमान में इसका प्रयोग लीबिया में यूएई समर्थित बलों द्वारा सीमित सफलता के साथ त्रिपोली में तुर्की समर्थित सरकार के खिलाफ किया जा रहा है। गैर लाभकारी संस्था ड्रोन वार्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, लीबिया में पिछले दो महीनों में उनमें से चार को गिरा दिया गया है।

दूसरी ओर चीन ने लद्दाख में आक्रामक पॉश्चर अपनाया हुआ है। यहां भारत और चीनी सेनाओं के बीच पिछले कुछ महीनों से गतिरोध जारी है। ऐसे में पाकिस्तान को चीन द्वारा ड्रोन देने की वजह से भारत को अमेरिका के मीडियम-अल्टीट्यूड लॉन्ग एंडयूरेंस आर्म्ड प्रीडेटर-बी ड्रोन के प्रति नए सिरे से रुचि रखने के लिए प्रेरित किया है। कम ऊंचाई पर अधिक देर तक उड़ान भरने में सक्षम हैं। यह न केवल टोह लेने और सर्विलांस के जरिए खुफिया जानकारी जुटाता है बल्कि मिसाइल या लेजर-गाइडेड बम के लक्ष्य का पता लगाकर उन्हें नष्ट भी कर देता है।

अमेरिका ने भारत को चार बिलियन डॉलर में 30 सी गार्डियन (निहत्था नौसैनिक संस्करण या यूएवी, जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाया गया प्रीडेटर-बी) देने की पेशकश की है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को लगता है कि यूएवी की अत्यधिक लागत के कारण निगरानी और टारगेट के लिए अलग-अलग ड्रोन लेने की बजाय आल-इन-वन ड्रोन लेना बेहतर होगा।

बेशक भारतीय नौसेना अमेरिका के साथ बातचीत में मुख्य भूमिका निभा रही है। लेकिन भारतीय सेना प्रीडेटर-बी के पूरी तरह से पक्ष में है। इसे एमक्यू-9 रीपर भी कहा जाता है। यह सशस्त्र ड्रोन इराक, अफगानिस्तान और सीरियाई सिनेमाघरों में चार हैल-फायर मिसाइलों और दो-500 पाउंड के लेजर-गाइडेड बम ले जाने की क्षमता के साथ युद्ध-सिद्ध है।


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