September 21, 2024

घास पर घमासानः अब तो ऐसा होय रहूँ, पाँव तले कि घास

फोटोःस्रोत फेसबुक

दस्तावेज डेस्क। ‘दास कहावन कठिन है, मैं दासन का दास। अब तो ऐसा होय रहूँ, पाँव तले कि घास। कबीर दास जी कहते हैं कि मैं दासों का दास हूं, अब तो इतना नरम बन कर के रहूंगा जैसे पांव के नीचे की घास। कबीरदास जी ने घास को बहुत ही नरम और मुलायम बताया है। लेकिन उत्तराखण्ड में इन दिनों घास को लेकर एक बड़ा घमासान छिड़ा है। पांव तले की नरम घास चुनाव के चौखट में खड़ी राजनीतिक दलों की बीच चुनावी मुद्दा बन गया है। दरअसल सारा मसला मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना को लेकर उठा है। प्रदेश की बीजेपी सरकार 30 अक्टूबर यानि शनिवार को इस स्कीम को लांच कर रही है। बाकायदा केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह इस स्कीम को लांच करने देहरादून पहुंचे चुके हैं।

पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत

सत्ताधारी दल बीजेपी उत्तराखण्ड की माता-बहनों के लिए घसियारी कल्याण योजना को क्रातिकारी योजना बता रहे हैं। सत्ताधारी दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कहते है कि महिलाओं के सिर से घास के बोझ को हटाने के लिए राज्य में मुख्यमंत्री घसियारी योजना शुरू की जा रही है। लोगों के घरों तक घास की गठरी पहुंचाने के लिए योजना बनाई गई है। पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत इस स्कीम की लांचिंग को लेकर खासे उत्साहित है। दरअसल उन्होंने ही अपने मुख्यमंत्रित्व काल में घसियारी योजना को अमलीजामा पहनाने की पहल की थी।

सहकारिता मंत्री डा० धन सिंह रावत

प्रदेश के दिग्गज नेता और सरकार में सहकारिता मत्री डा० धन सिंह रावत पिछले कई दिनों से इस स्कीम की लांचिग की तैयारियों में जुटे रहे। मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना उनके सहकारिता विभाग से जुड़ी है तो वे इस स्कीम की प्रचार प्रसार में भी जुटे रहे। सहकारिता मंत्री डा० धन सिंह रावत बताते हैं कि घसियारी कल्याण योजना महिलाओं खास पर्वतीय क्षेत्र की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगी। वे आगे बताते हैं गैस सिलेंडर और राशन की तर्ज पर ग्रामीणों को पशुओं का चारा भी रियायती दामों पर उपलब्ध कराया जाएगा।

लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस इस स्कीम के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर रहा है। पीसीसी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल कहते हैं कि भाजपा पहाड़ों में मुफ्त की घास को भी तिजारत यानि व्यापार बना रही है। उन्होंने कहा कि अपने मवेशियों को मुफ्त में घास देने का अधिकार अंग्रेजों के समय से चला आ रहा है। लेकिन भाजपा अब उस हकहुकूक को भी छीनने की कोशिश कर रही है।

गणेश गोदियाल, पीसीसी अध्यक्ष

गणेश गोदियाल आगे कहते है कि भाजपा शासनकाल में अब मनुष्य ही नहीं बल्कि मवेशी भी कष्ट में आने वाले हैं। क्योंकि प्रदेश की भाजपा सरकार इस योजना के माध्यम से हमारे पहाड़ों की बेटियों और बहनों के हाथों से कलम की ताकत को छीन कर वापस उनके हाथ में दराती पकड़ाना चाह रही है।

कांग्रेस के बड़े नेता और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष हरीश रावत इस स्कीम पर कहते है कि हमारे प्रदेश की माताओं और बहनों की तुलना तीलू रौतेली, जिया रानी, गौरा देवी से की जाती है। आज के समय में महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनाते हुए हमारे उत्तराखंड को पहचान दी लेकिन भाजपा हमारी पहचान घसियारी की बनाना चाहती है। यह पहचान हमें बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।

महादेव बहुगुणा, समाजसेवी

वही खिर्सू ब्लाक से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवी महादेव प्रसाद बहुगुणा कहते हैं कि पहाड़ में घास का कोई संकट नहीं हैं। भले ही राज्य सरकार चुनावी माइलेज लेने के लिए स्कीम लांच कर रही हो लेकिन आने वाले समय में इस स्कीम से लाभ की बजाय नुकसान ही होगा। उन्होंने मिसाल देते हुए कहा कि फ्री राशन की स्कीम के नतीजे सबके सामने है। पहाड़ में लोगों ने अब खेती करना छोड़ दिया है और खेत बंजर पड़ गये हैं। वहीं इस स्कीम के चलते पशुपालक भी खत्म हो जाएंगे।

भाकपा माले के नेता और जाने-माने आंदोलनकारी इन्द्रेश मैखुरी घसियारी कल्याणी योजना पर कहते हैं कि भाजपा ने भ्रष्टाचार का एक ओर नया रास्ता खोल दिया है। पूरी स्कीम अपने भाई-भतीजों और कार्यकर्ताओं के प्लेसमेंट के लिए तैयार की गई हैं। सारा खेल कमीशन और टेंडर के लिए रचाया गया है।

योगेश शुक्ला, उक्रांद

यकेूडी के युवा प्रकोष्ठ के प्रचार सचिव योगेश शुक्ला कहते हैं कि भाजपा सरकार जो घसियारी योजना शुरू कर रही है उसका स्वागत है। हमारे पहाड़ की माताएं-बहने किन किन परिस्थितियों मे घास काटती हैं ये हम पहाड़वासी ही जानते हैं। लेकिन देखने वाली बात ये होगी कि यह योजना धरातल पर कितना उतरती है? या ये दूसरी योजनाओं की तरह ही भ्रष्टचार का शिकार होगी।

क्या है घसियारी कल्याण योजनाः

मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का मकसद सूबे की करीब तीन लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं के सर से बोझ खत्म करना है। इस योजना के तहत उनके घर पर पैक्ड सायलेज (सुरक्षित हरा चारा) एवं संपूर्ण मिश्रित पशु आहार उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को घसियारी किट भी बांटी जाएगी जिसमें कुदाल, दरांती, टिप्पन और एक बैग शामिल है। चरण में मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना प्रदेश के चार पर्वतीय जिलों पौड़ी, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा तथा चम्पावत में संचालित की जायेगी, इसके उपरांत अन्य जिलों में भी योजना शुरू की जायेगी।

चुनाव की दहलीज पर खड़े सियासी दलों को घास किसको सत्ता सौंपती है ये तो आने वाला वक्त ही बताय लेकिन यहां पर कबीर दास जी घास पर लिखते है कि

आज काल के बीच में, जंगल होगा वास,
ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ।।

अर्थात- आज-कल के बीच में यह शहर जंगल में जला या गाड़ दिया जायेगा, फिर इसके ऊपर ऊपर हल चलेंगे और पशु घास चरेंगे।


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