September 22, 2024

सीएम राहत कोषः कांग्रेस के विधायक आगे, भाजपा के पीछे, बैक फुट पर मुन्ना सिंह चैहान

देहरादून। उत्तराखंड में सीएम राहत कोष में पैसे देने के मामले में सत्ताधारी दल के विधायक ही कंजूस साबित हुए हैं। कोविड-19 के संकट में प्रदेश के लोगों की मदद के लिए बीजेपी से आगे कांग्रेस निकल गयी है। सीएम राहत कोष में भाजपा के अधिकांश विधायकों ने मूल वेतन कटवाकर प्रदेश सरकार की अपील किनारे लगा दिया है। दूसरी तरफ, कांग्रेस विधायकों ने मूल वेतन के साथ ही भत्तों में भी कटौती कराई है। जिसके बाद से बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। कांग्रेस के केदारनाथ विधायक मनोज रावत को आरटीआई के तहत विधानसभा से जो जानकारी मिली है वह काफी चैकाने वाली है। सत्ता पक्ष के अधिकतर विधायकों ने सीएम राहत कोष से दूरी बनाकर रखी है।

मंत्रियों को हटा दिया जाए तो एक अतिरिक्त विधायक सहित 62 में से 42 विधायकों ने ही सीएम राहत कोष में वेतन दिया। जिसमें सत्ता पक्ष के बीस विधायक हैं जिन्होंने पैसे नहीं दिए। जिससे सवाल खडे हो रहे है कि जब संकट की इस घडी में सत्ता पक्ष के विधायक ही आगे नही आ रहे है तो फिर विप़क्ष पर सवाल करना कितना सही है। जबकि इस मामले में विपक्ष सत्ता पक्ष से आगे निकल गया है।

इंदिरा हृदयेश टॉप पर

सीएम राहत कोष में पैसे देने वाले विधायकों में नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश टॉप पर हैं। उन्होंने राहत कोष में वेतन के साथ ही निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और सचिव भत्ते का तीस प्रतिशत दिया। इस तरह उनके वेतन से 75600 रुपये दो बार राहत कोष में जमा हुए। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने भी नेता प्रतिपक्ष का अनुसरण किया। उनके वेतन से 57600 रुपये कटे। एक को छोड़कर बाकी सभी कांग्रेस विधायकों के वेतन से इतने ही पैसे कटे। सूची में ऐसे कुल 21 विधायक हैं। बाकी में से किसी ने मूल वेतन (30 हजार रुपये) तो किसी ने मूल वेतन का तीस प्रतिशत देकर काम चलाया। 

कांग्रेस को मिला पलटवार का मौका

कांग्रेसी पहले से ही कह रहे हैं कि कोविड को देखते हुए वे प्रदेश सरकार का सहयोग कर रहे हैं। नेताप्रतिपक्ष ने भी कहा था कि सरकार पूरा ब्योरा सामने रखे। उधर इस मामले पर अब बीजेपी के विधायक कुछ भी कहने से बच रहे है। अब इन विधायकों को सीएम रावत का भी डर सता रहा है।

मुन्ना सिंह चैहान ने दिया मूल वेतन

सत्ताधारी दल के विकासनगर विधायक मुन्ना सिंह चैहान ने सीएम राहत कोष में मूल वेतन दिया। उनके दो बार के वेतन से 30-30 हजार रुपये कटे। मुन्ना सिंह चैहान ने प्रेस कांफ्रेस कर कांग्रेस पर राहत कोष में पैसे जमा न करने का आरोप जड़ा था, इसलिए वे कांग्रेस के निशाने पर भी है।

मनोज रावत, केदारनाथ विधायक

सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत विधानसभा से यह जानकारी मिली। सबसे ज्यादा हल्ला मचाने वाले मुन्ना सिंह चैहान का सहयोग ही कम नजर आ रहा है। प्रदेश सरकार क्या विपक्ष के विधायकों के बल पर ही राहत कोष को भरना चाह रही है। जबकि हमारी पूरी कोशिस है कि हम संकट की इस घडी में अपनी जनता की मदद करे।


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