September 22, 2024

कांग्रेस-लेफ्ट ने दिया टीएमसी को झटका, गठबंधन करने से किया इंकार

पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले टीएमसी को लेफ्ट और कांग्रेस ने बड़ा झटका दिया है। टीएमसी सांसद सौगत राय ने बुधवार को लेफ्ट और कांग्रेस से बीजेपी की सांप्रदायिक राजनीति के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की थी। अब दोनों दलों ने सौगत राय की इस सलाह को सिरे से खारिज कर दिया है।

कांग्रेस ने तो यहां तक कह दिया है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई के लिए टीएमसी को कांग्रेस में विलय कर लेना चाहिए। दरअसल, सौगत रॉय ने कहा था कि साम्प्रदायिक राजनीति के खिलाफ अगर कोई चेहरा है तो वो ममता हैं, इसीलिए कांग्रेस और वाम दलों से अपील है कि वो उस चेहरे के साथ खड़े हो जाएं।

टीएमसी के प्रस्ताव पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में बीजेपी के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया। अधीर रंजन ने ममता से ही कांग्रेस में शामिल होने की अपील कर दी। उन्होंने कहा, ‘हमें टीएसी के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद टीएमसी को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लड़ने की इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।’

सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती ने सौगत राय के बयान के बाद कहा, ‘टीएमसी वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है। ये दिखाता है कि वाम मोर्चा अब भी महत्वपूर्ण है। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हराएंगे।’

सौगत राय के बयान के सहारे बीजेपी भी अब टीएमसी को घेर रही है। राज्य में तेजी से उभर रही बीजेपी ने कहा है कि सौगत राय की ये पेशकश दिखाती है कि टीएमसी हताश है। बीजेपी का कहना है कि टीएमसी अकेले नहीं लड़ सकती, इसलिए अन्य दलों से मदद मांग रही है। बीजेपी का दावा है कि टीएमसी के इस रुख से साबित होता है कि बीजेपी ही टीएमसी का एकमात्र विकल्प है।

सीट बंटवारे पर चर्चा करेंगे कांग्रेस-लेफ्ट

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने गठबंधन सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए सीट-साझा समझौते पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को कोलकाता पहुंचेंगे। इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के लिए वाम दलों के साथ सीट-साझाकरण समझौता करने के लिए एक समिति बनाई थी। समिति में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, सीएलपी नेता अब्दुल मन्नान, पूर्व राज्य प्रमुख प्रदीप भट्टाचार्य और नेपाल महतो शामिल हैं।

सोमवार को भट्टाचार्य और मन्नान ने नई दिल्ली में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। कांग्रेस सूत्रों ने कहा है कि पार्टी कुल 294 विधानसभा सीटों में से कम से कम 150 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। कांग्रेस ने कथित तौर पर सभी जिला प्रमुखों से कहा है कि वे जिन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ें, उनकी सूची प्रस्तुत करें। कांग्रेस और वाम दलों के बीच सीट बंटवारे के समझौते को 31 जनवरी तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है। वाम मोर्चा और कांग्रेस फरवरी या मार्च में कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक मेगा संयुक्त रैली आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।

पश्चिम बंगाल के लिए 2021 की लड़ाई आसान नहीं है। पिछले पांच वर्षों में भाजपा ने खुद को राज्य में मुख्य विपक्षी दल के रूप में तैनात किया है। इसने 2019 में राज्य में 18 लोकसभा सीटें जीती थीं।


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