September 22, 2024

राजेन्द्र भण्डारी के पाला बदलने को कांग्रेस ने बनाया उपचुनाव में बड़ा मुद्दा

देहरादून। बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस ने राजेन्द्र भण्डारी के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पाला बदलने को बड़ा मुद्दा बनाया है। चुनाव प्रचार में यहां पहुंचे कांग्रेसी इस पर सवाल उठा रहे हैं। राजेन्द्र भण्डारी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से एकमात्र कांग्रेसी विधायक थे। लेकिन लोकसभा चुनाव के ऐन पहले राजेन्द्र भण्डारी ने अपनी विधायकी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा में शामिल हो गये। अब राजेन्द्र भण्डारी एक बार फिर भाजपा के सम्बल पर उपचुनाव के लिए बदरीनाथ के चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस इसे राजेन्द्र भण्डारी की निजी स्वार्थपरता और मौकापरस्ती बताकर प्रचारित कर रही है।

अब कांग्रेस की ओर से यहां लखपत सिंह बुटोला उम्मीदवार हैं। जिसके समर्थन में यहां तमाम कांग्रेसी नेता बदरीनाथ में चुनाव प्रचार पर पहुंच रहे हैं। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और गढ़वाल लोकसभा से प्रत्याशी रहे गणेश गोदियाल कहते हैं कि भाजपा का विकास से कोई लेना देना नहीं है वे सिर्फ दूसरे दलों के नेताओं और विधायकों को तोड़कर कर सत्ता में बने रहना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दलबदलू, अवसरवादी उम्मीदवार से सावधान रहे और बहकावे न आए। उन्होंने कहा कि राजेन्द्र भण्डारी निजी स्वार्थ को लेकर कांग्रेस छोड़ भाजपा में गये हैं।

उधर भाजपा ने पार्टी प्रत्याशी राजेन्द्र भण्डारी के समर्थन में स्टार प्रचारकों की फौज तैयार की हैं। इसमें मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक और संगठन के बड़े पदाधिकारी शामिल हैं। उधर सत्ताधारी बीजेपी का कहा कि जनता में भाजपा के प्रति आस्था जगी है। भाजपा संगठन मंत्री अजय कमार का कहना है कि भाजपा ही वह सरकार से जो जनता के दुख-दर्द को समझती है इसलिए लोकसभा चुनाव में जनता ने उत्तराखण्ड की पांचों सीटो पर भाजपा को जीत दिलवायी है। इस चुनाव में भी जनता भाजपा उम्मीदवार को अपना आशीर्वाद देगी।

हाल ही हुए लोकसभा चुनावों में नजर डाले तो कांग्रेस ने यहां अंकिता भण्डारी हत्याकांड और अग्निवीर को अपना बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। वहीं बीजेपी मोदी की गारटी के साथ चुनावी मैदान में उतरी। राजनीति के जानकारों की ओर उस नतीजों को लेकर उस दौरान तमाम कयास लगाये गये। लेकिन प्रदेश की पांचों लोकसभा सीटों को जीतने में बीजेपी कामयाब रही।

बीजेपी की जीत पर कांग्रेस नेताओं का कहना था कि यदि यदि उत्तराखण्ड के लोकसभा चुनाव तीसरे-चौथे चरण में होते तो नतीजे अलग होते। राजनीति पल-पल करवट लेती है। बदली हुए परिस्थितियों में बदरीनाथ की जनता अब किस पर अपनी मुहर लगाती है। ये तो चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा। लेकिन चुनाव तारीख नजदीक आने के साथ ही प्रचार का दौर तेज होने लगा है। सभी नेताओं के अपने दावे है, वादे हैं। लेकिन बदरीनाथ का उपचुनाव उत्तराखण्ड की राजनीति को एक बड़ा संदेश जरूर देगा।


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