कांग्रेस जल्द कर सकती है नेता प्रतिप्रक्ष का चयन, बद्रीनाथ विधायक राजेंद्र भंडारी दौड़ में सबसे आगे
देहरादून। कांग्रेस अभी तक नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं कर पाई है। वहीं कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष पद तक के लिए लॉबिंग शुरू हो गई है। नेता प्रतिपक्ष की रेस में धारचूला विधायक हरीश धामी, पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और पूर्व मंत्री और बद्रीनाथ विधायक राजेन्द्र भण्डारी बताये जा रहे हैं।
बद्रीनाथ विधायक राजेन्द्र भण्डारी नेता प्रतिपक्ष बनाये जा सकते हैं। राजेंद्र भंडारी दो बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। उन्होंने छात्र राजनीति से राज्य की राजनीति तक का सफर तय किया है। भंडारी जहां बेबाक वक्ता हैं, वहीं क्षेत्र और राज्य में उनकी काफी लोकप्रियता है। जनमुद्दों पर उनकी गहरी पकड़ है।
वहीं संगठन के लिहाज से भी जानकार नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राजेन्द्र भण्डारी का दावा मजबूत बता रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 19 सीट मिल पाई उसमें गढ़वाल में कांग्रेस काफी कमजोर नजर आई। जीती सीटों का समीकरण देखें तो कुमाऊं का पलड़ा भारी रहा। कुमाऊं से जहां पार्टी को 11 सीटें मिली हैं, वहीं हरिद्वार से पांच और देहरादून को मिलाकर गढ़वाल के हिस्से में मात्र तीन सीटें आई हैं।
जीती सीटों के गुणा-गणित को देखा जाय तो कांग्रेस गढ़वाल क्षेत्र में काफी कमजोर है। गढ़वाल से नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता है तो हाशिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस को यहां एक संजीवनी मिली सकती है। इस लिहाज से राजेन्द्र भण्डारी का दावेदारी मजबूत नजर आती हैं। कांग्रेस ने गढ़वाल से गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था लेकिन उनको संगठन को मजबूत करने का पूरा समय नहीं मिल सका। कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने के मामले में संगठन में गढ़वाल को तरजीह नहीं दी गई। कांग्रेस ने इस बार विधानसभा चुनाव फतह करने के लिए चार कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत, भुवन कापड़ी, नियुक्त किये थे। लेकिन ये सभी कार्यकारी अध्यक्ष में तराई और कुमाऊं को तव्वजों मिली। हालांकि बाद भी टिकट ना मिलने से नाराज शूरवीर सजवाण को साधने के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया।
उधर धारचूला विधायक हरीश धामी ने भी नेता प्रतिपक्ष के लिये अपना दावा पेश किया है। हरीश धामी हरीश रावत के खेमे के माने जाते हैं। लेकिन हरीश रावत गुट कांग्रेस की हार के लिए कार्यकर्ताओं और पार्टी के दूसरे नेताओं के निशाने पर है। इस लिहाज से हरीश रावत गुट का दावा कमजोर माना जा रहा है।
जानकारों की माने तो राजेंद्र भंडारी का दावा सबसे अधिक मजबूत हो सकता है क्योंकि राजेंद्र भंडारी गढ़वाल का नेतृत्व करते हैं ऐसे में गढ़वाल में हाशिए पर पड़ी कांग्रेस को पुनः स्थापित करने और आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए अगर राजेंद्र भंडारी कोई जिम्मेदारी दी जाती है तो इससे उत्तराखंड कांग्रेस को बल मिलेगा। साथ ही राजेंद्र भंडारी के अनुभव का भी कांग्रेस पार्टी को बड़ा सहयोग मिल सकता है। दिल्ली सूत्रों की मानी तो राजेंद्र भंडारी के नाम पर सहमति बन सकती है इसकी खास वजह है कि हरीश रावत भी अंतिम समय में राजेंद्र भंडारी के नाम पर सहमत हो जाएंगे क्योंकि हरीश रावत प्रीतम सिंह को अपना प्रतिनिधि प्रतिद्वंदी मानते हैं ऐसे में वह भंडारी को सहयोग कर अपने वर्चस्व को कायम रख सकते हैं।