September 22, 2024

कांग्रेस की मांग- 2004 के स्तर पर आए पेट्रोल-डीजल की कीमत, GST के दायरे में लाएं

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गिरने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफे को लेकर कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के अंतर्गत लाए जाने की मांग की है. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों को कम करके अगस्त 2004 के स्तर पर लाया जाना चाहिए, जब कच्चे तेल की कीमत 40 डालर प्रति बैरल थी.

उन्होंने कहा कि अगस्त 2004 में पेट्रोल 36.81 और डीजल 24.16 रुपये प्रति लीटर था. एलपीजी सिलेंडर 261.60 रुपये का था, लेकिन अब पेट्रोल, डीजल और एलपीजी 75.78, 74.03 और 593.00 रुपये में बेचा जा रहा है. सुरजेवाला ने 6 साल में पेट्रोल और डीजल पर बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी 23.78 रुपये और 28.37 रुपये को वापस लेने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि देश के 130 करोड़ नागरिक आज कोरोना की महामारी से लड़ रहे हैं. गरीब, प्रवासी श्रमिक, दुकानदार, किसान, छोटे और मध्यम व्यवसायी और बड़ी संख्या में बेरोजगार हुए लोग इस कठिन आर्थिक मंदी और महामारी की स्थिति में जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

सुरजेवाला ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार को जन विरोधी बताते हुए कहा कि ऐसे हालात में भी हर रोज डीजल और पेट्रोल के दाम बढ़ाकर जनता पर बोझ डाला जा रहा है, मुनाफाखोरी और जबरन वसूली की जा रही है. उन्होंने कहा कि पिछले 8 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 4.52 रुपये और 4.64 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया गया है, जबकि कच्चे तेल की कीमतें बहुत कम हैं. सुरजेवाला ने कहा कि मई 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई थी, तब पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क केवल 9.20 और 3.46 रुपये प्रति लीटर था. इसमें पिछले 6 साल में पेट्रोल पर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये प्रति लीटर का इजाफा सरकार ने किया है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि यह यूपीए की तुलना में 258 और 820 फीसदी अधिक है. वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2019-20 तक 6 वर्ष की अवधि में केंद्र सरकार ने 12 बार पेट्रोल और डीजल पर कर में वृद्धि की है. जनता से 6 साल में 17,80,056 करोड़ रुपये वसूले. उन्होंने कहा कि जब लोगों का गुजर-बसर मुश्किल हो रहा हो, तब किसी भी सरकार को लोगों पर भारी कर लगाने का कोई अधिकार नहीं है. सस्ता पेट्रोल और डीजल के वायदे कर सत्ता पर काबिज हुई मोदी सरकार यदि पिछले छह वर्षों के दौरान अपने बढ़ाए उत्पाद शुल्क को ही वापस ले ले तो पेट्रोल और डीजल दोनों तुरंत 50 रुपये प्रति लीटर से नीचे आ जाएंगे.

सुरजेवाला ने कहा कि 26 मई 2014 को जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में सत्ता संभाली थी, तब भारत की तेल कंपनियों को कच्चा तेल 108 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मिल रहा था. तब डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत के हिसाब से 6330 रुपये प्रति बैरल बनता है. यानी तब कच्चे तेल की कीमत लगभग 40 रुपये प्रति लीटर पड़ रही थी. उन्होंने कहा कि 12 जून, 2020 को कच्चे तेल की कीमत थी अंतरराष्ट्रीय बाजार में 40 डॉलर प्रति बैरल थी, जो लगभग 3038.64 रुपये प्रति बैरल पड़ती है. यानी कुल लागत 20 रुपये प्रति लीटर से भी कम पड़ी.

पीएम से किया सवाल

कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस की कीमतें इसी अनुपात में कम की जाएं, तो इसमें आधे से भी अधिक कमी आ सकती है. उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार यह बताएगी कि पेट्रोल और डीजल, जिसकी लागत 20 रुपये प्रति लीटर से भी कम आ रही है, उसे 75.78 और 74.03 रुपये प्रति लीटर क्यों बेचा जा रहा है?


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