लगातार रूप बदल रहा कोरोना, संक्रमितों में देखे जा रहे हैं ये नए लक्षण
पिछले साल कोरोना की पहली लहर के दौरान कई लक्षण थे जो क्लासिक सिंपटम की कैटेगरी में थे। इनमें सर्दी-बुखार और खुशबू-स्वाद का चला जाना सबसे कॉमन था। लेकिन दूसरी लहर के साथ इनके अलावा कई ऐसे दूसरे लक्षण भी आ गए हैं, जिनकी वजह से मरीज को पता ही नहीं लगता कि वो कोरोना से संक्रमित है और इस तरह संक्रमण तेजी से फैलता चला जाता है।
अगर आप अभी तक कोरोना को हलके में ले रहे हैं तो अब लापरवाही बिल्कुल बंद कर दीजिए। क्योंकि अब हिंदुस्तान में ये चीनी वायरस न सिर्फ बेकाबू हो गया है। कोरोना का नया वैरियंट शरीर पर अलग-अलग तरीके से बेहद मारक हमला कर रहा है।
चीन की लगाई ये आग बहुत एक बार थमने के बाद दोबारा तेजी से फैली है। नया स्ट्रेन पहले से बहुत ज्यादा संक्रामक है और श्वसन तंत्र पर तेजी से हमला कर रहा है। इस बार संक्रमित मरीजों को ऐसी ऐसी समस्याएं हो रही हैं, जो पहले नहीं दिखी थीं। कोरोना के पुराने लक्षणों से मिलान नहीं होने पर संक्रमित लोग धोखा खा रहे हैं। वो खुद को स्वस्थ मानकर जांच नहीं करवा रहे। नतीजा संक्रमण तेजी से फैल रहा है।
अब तक कोरोना का एक मरीज जितने लोगों के संपर्क में आता था उनमें से 30 से 40% लोग कोरोना से संक्रमित हो जाते थे, लेकिन कोरोना की इस दूसरी लहर में कोरोना का एक मरीज संपर्क में आने वाले 90% तक मरीजों को संक्रमित कर रहा है। यानी पहले किसी संक्रमित रोगी के संपर्क में आने के बावजूद 100 में से 60-70 लोग संक्रमित नहीं होते थे। लेकिन अब तो मुश्किल से 10-20 लोग ही बच पा रहे हैं। घरों में पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो रहा है। ये हालात बेहद खतरनाक हैं।
16 महीने पहले जब कोरोना की पहली पीक आई थी तब भी रोज के केस अब के मुकाबले बहुत कम आते थे। क्योंकि तब लोग कोरोना से बचने के उपाय अपना रहे थे। घरों में बंद थे, भीड़ नहीं जुट रही थी। लेकिन अब कोरोना से बेफिक्री जानलेवा हो गई है। दूसरी लहर में डेली कोरोना केस इतने ज्यादा हो गए हैं कि अस्पतालों में बेड नहीं बचे हैं।”
बीते 16 महीनों में ऐसा कोई सप्ताह नहीं बीता जब वैज्ञानिकों ने कोरोना के किसी नए वेरिएंट की पहचान नहीं की हो। कोविड 19 फैलाने वाले सार्सकोव-2 वायरस के दुनियाभर में कई वैरियंट पाए जा रहे हैं। सबके लक्षण अलग-अलग हैं। सबका हमला अलग-अलग तरीके से होता है।
इन सब वेरियंट की ताकत अलग है, तासीर अलग है। दुनिया में सबसे ज्यादा यूके, दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील वाले वेरियंट ज्यादा तबाही मचा रहे हैं। लेकिन दिल्ली में यूके और दक्षिण अफ्रीकी वेरियंट के मरीज ही पाए गए हैं। एक और वेरिएंट है, जिसकी दूसरी लहर के साथ भारत में नई एंट्री हुई है।
भारत में पाया गया ये नया वेरिएंट
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब से हाल में लिए गए 401 नमूनों में से 81% फीसदी सैम्पल को जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया, जिनमें यूके वेरिएंट पाया गया है। मार्च के अंत में भारत के नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल यानी NCDC ने एक नए वेरिएंट की जानकारी दी थी। इसे नाम दिया गया ‘डबल म्यूटेंट’। महाराष्ट्र, दिल्ली, पंजाब से लिए गए सैम्पल में ये वेरियंट मिला है। कोरोना का ये वेरियंट बेहद खतरनाक, ताकतवर और बेहद संक्रामक है। बेकाबू दूसरी लहर में भारत में कोरोना ‘डबल म्यूटेंट’ से फैल रहा है।
नए वेरियंट की ज्यादा ताकत के साथ-साथ लोगों की लापरवाही भी कोरोना के इस कदर बेकाबू होने की बड़ी वजह है। नई लहर सेहत पर कहर बनकर टूट रही है।
कोरोना वायरस के बदलते लक्षण
सबसे शुरूआती वेरिएंट की वजह से मरीज में बुखार, सर्दी-खांसी, सांस फूलना जैसे लक्षण दिखते थे। कई मरीजों में स्वाद और गंध की क्षमता कुछ दिन के लिए खत्म हो जाती थी। लेकिन कोरोना इंफेक्शन खत्म होते होते ये लक्षण ठीक हो जाते थे। इसके बाद दिसंबर 2020 तक लक्षण बदलने लगे। कुछ मरीजों के पैरों की उंगलियों पर लाल या बैंगनी चकत्ते जैसे लक्षण दिखने लगे। फिर मरीजों में बैचेनी, थकान और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखना शुरू हुए। लेकिन अब दूसरी लहर के नए रोगी कुछ और ही बता रहे हैं।
कोरोना का नया हमला अब सिर्फ श्वसन तंत्र पर ही नहीं, बल्कि पूरे शरीर पर हो रहा है। आंख-कान से लेकर लंग्स और लिवर तक कोरोना का वायरस मार कर रहा है। कोरोना के वायरस का म्यूटेशन दिल की स्थाई समस्याओं को भी जन्म दे रहा है।
JAMA Cardiology की रिपोर्ट
अमेरिकी साइंस मैगजीन जामा कार्डियोलॉजी में छपी स्टडी में दावा किया गया है कि दूसरी लहर में रिकवर होने वाले 78% तक कोरोना के मरीजों में कार्डियक समस्याएं देखी गईं हैं। इनमें से 60 प्रतिशत लोगों में मायोकार्डिअल इनफ्लेमेशन दिखा, जिसके लक्षण दिल के दौरे से मिलते-जुलते हैं, सीने में दर्द, थकान, सांस फूलना, घबराहट और चक्कर आना।
सिर्फ दिल ही नहीं, दूसरी लहर का कोरोना वायरस दिमाग पर भी गहरा असर कर रहा है। MedRxiv की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंबे समय तक कोरोना से बीमार रहने वालों में ब्रेन फॉग की परेशानी दिख रही है यानी वे मतिभ्रम का शिकार होते हैं और मामूली बातें भी भूलने लगते हैं। इसका असर स्थाई होता है या अस्थाई, इस बारे में फिलहाल स्टडी हो रही है।
कोरोना की जानलेवा दूसरी लहर की चपेट में आने वालों को देखने में परेशानी हो रही है। अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम पर असर का नतीजा कानों में अचानक तेज दर्द के रूप में भी दिख रहा है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ऑडियोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना का नया वेरिएंट कानों की समस्या को ट्रिगर करता दिख रहा है। जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक एक-दो नहीं बल्कि 56% नए मरीजों को कानों में दर्द या अचानक सुनने में समस्या हो रही है।
कोरोना के सबसे नए मरीज पिंक आई यानी कंजंक्टिवाइटिस की तरह आंखों में लालपन आने की भी शिकायत कर रहे हैं। उन्हें आंख से पानी आना और आंखों में खुजली जैसी परेशानियां हो रही हैं। इसके अलावा पेट, कमर और घुटनों में दर्द हो रहा है। कोरोना वायरस के इन लक्षण ने कोरोना की दूसरी लहर को बेहद खतरनाक बना दिया है। हमारा मकसद आपको डराना नहीं है बल्कि सावधान करना है। क्योंकि सावधानी हटी और कोरोना की दुर्घटना घटी।