September 22, 2024

कोरोना के कहर से इस साल भारत की GDP ग्रोथ रेट माइनस 5% रहेगी: फिच रेटिंग्स

रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा है कि कोरोना की वजह से वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच फीसदी की गिरावट आएगी. दूसरी तरफ, रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चेतावनी दी है कि भारत में आजादी के बाद चौथी मंदी आने वाली है और यह अब तक की सबसे भयानक मंदी होगी.

फिच ने क्या कहा

फिच रेटिंग्स ने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से देश में सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है. इससे आर्थिक गतिविधियों में जबर्दस्त गिरावट आई, जिसका सीधा असर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर पड़ेगा. इससे पहले फिच ने अप्रैल में अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 0.8 फीसदी रहेगी. अब फिच ने अपने इस अनुमान को काफी अधिक घटा दिया है. फिच ने कहा कि इस वित्त वर्ष में भारत के जीडीपी में 5 फीसदी की गिरावट आएगी.

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने कहा, ‘भारत में काफी सख्त लॉकडाउन नीति लागू की गई है. इसके अलावा राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध उम्मीद से कहीं अधिक लंबा खिंच गए हैं, जो आर्थिक गतिविधियों के आंकड़े आ रहे हैं, वे बहुत ज्यादा कमजोर हैं.’

ये है क्रिसिल का अनुमान

इसी तरह क्रिसिल ने भी यह अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 फीसदी की गिरावट आएगी. इसके पहले 28 अप्रैल को क्रिसिल ने कहा था कि भारत की जीडीपी में 1.8 फीसदी की बढ़त होगी. लेकिन लगातार जारी लॉकडाउन और कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए रेटिंग एजेंसियां अब भारत की जीडीपी में नेगेटिव ग्रोथ यानी गिरावट का अनुमान जारी करने लगी हैं.

रिजर्व बैंक ने भी किया था स्वीकार

अब तो भारतीय रिजर्व बैंक ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में नेगेटिव ग्रोथ यानी गिरावट आ सकती है. हाल में एमपीसी की बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह कहा था कि इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में नेगेटिव ग्रोथ रहेगी.

खेती-किसानी ही बचाएंगे

क्रिसिल का अनुमान है कि गैर कृषि अर्थव्यवस्था में इस साल 6 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, जबकि कृषि अर्थव्यवस्था 2.5 फीसदी की बढ़त के साथ थोड़ी राहत देगी.

क्रिसिल के अनुसार पिछले 69 साल में जो आंकड़े उपलब्ध हैं उसके अनुसार भारत में 1958, 1966 और 1980 में तीन बार आर्थिक मंदी आ चुकी है. लेकिन उक्त सभी मंदी का कारण यह था कि मानसून की बारिश सही न होने की वजह से कई इलाकों में सूखा पड़ा था और कृषि अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ था.


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