कोरोना संकट के बीच सरकार ने पैरासिटामॉल से बनने वाले फार्मुलेशंस के निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटाए

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सरकार ने शुक्रवार को पैरासिटामॉल से बनने वाले फार्मुलेशंस के निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं। हालांकि पैरासिटामॉल सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर प्रतिबंध अब भी जारी है। इस संदर्भ में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना जारी की है।
इसके अनुसार, पैरासिटामॉल से बनने वाले फार्मुलेशंस (फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन सहित) तत्काल प्रभाव से निर्यात के लिए मुक्त कर दिए गए हैं। लेकिन पैरासिटामॉल एपीआई निर्यात के लिए प्रतिबंधित जारी रहेगा।

तीन मार्च 2020 को सरकार ने 26 दवा सामग्री और दवाइयों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। 

पहले आंशिक तौर पर हटाया था प्रतिबंध 

इससे पहले कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर मानी जा रही मलेरिया रोधक दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत सरकार ने इस दवा पर लगे निर्यात से आंशिक तौर पर प्रतिबंध हटाया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल दवाओं के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को आंशिक तौर पर हटाया है। मानवीय आधार पर यह फैसला लिया गया था। ये दवाएं उन देशों को भेजी जाएंगी जिन्हें भारत से मदद की आस है।

मालूम हो कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए अब तक कोई निश्चित दवा नहीं बन पाई है, लेकिन जो दवाएं उपलब्ध हैं, उनमें से मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन काफी चर्चा में है। विश्व के 30 देशों के 37 फीसदी डॉक्टरों ने इसके असरदार होने पर अपनी मुहर लगाई है। 6200 डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों पर हुए सर्वे में 37 फीसदी ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को कोरोना वायरस के लिए सबसे प्रभावी बताया है। कई देशों में कोरोना के मरीजों पर इसके इस्तेमाल की अनुमति मिल चुकी है।