September 22, 2024

कोरोना वायरस से जंग के बीच उम्मीद, इसी साल भारत को मिल सकती है वैक्सीन!

कोरोना वायरस की महामारी भारत के साथ-साथ दुनियाभर में अपना कहर बरपा रही है. कई देश अब इस महामारी के खात्मे के लिए वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं. लेकिन इस संकट के बीच भारत के लिए एक उम्मीद भी जगी है, क्योंकि साल के अंत तक भारत को कोरोना से लड़ने के लिए वैक्सीन मिल सकती है. ब्रिटेन की ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में भी इसका ट्रायल शुरू हो रहा है.

विश्व प्रसिद्ध वैक्सीनोलॉजिस्ट और प्रोफेसर एड्रियन हिल का दावा है कि सितंबर तक दुनिया में पहली वैक्सीन आ जाएगी, जो कोरोना को मात देने में मदद करेगी. प्रोफेसर हिल का कहना है कि अगर ट्रायल पूरी तरह से ठीक गया तो सितंबर के बाद इस दवाई की सप्लाई शुरू होगी. भारत में भी ये दवाई साल के अंत तक आ सकती है.

इस वैक्सीन बनाने को लेकर बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एड्रियन हिल ने बताया कि अभी कई वैक्सीन ट्रायल के रूटीन में हैं, ऑक्सफॉर्ड में भी ऐसी ही एक वैक्सीन पर काम चल रहा है. हमें उम्मीद है कि इस ट्रायल में हम सफल होंगे, जिसके बाद हमारा फोकस अधिक से अधिक वैक्सीन बनाने पर काम करेंगे.

प्रोफेसर एड्रियन हिल के मुताबिक, जो ट्रायल में संकेत मिल रहे हैं उसके तहत कोरोना वायरस के खिलाफ सिर्फ एक डोज़ काम कर पाएगी.

ब्रिटिश प्रोफेसर का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में जो हमारी मदद कर रहे हैं उनमें भारतीय प्रोफेसर भी शामिल हैं. हिल के मुताबिक, जिस वैक्सीन को तैयार किया जा रहा है उसके सफल होने की उम्मीद है लेकिन इसके लिए इम्युन सिस्टम मजबूत होना चाहिए इसी दम पर ये जल्द से जल्द अच्छा काम कर सकती है.

तेजी से हो रहा है डोज़ बनाने का काम

इसी प्रोजेक्ट पर काम करने वाले आदर पूनावाला का कहना है कि दो हफ्ते के बाद हम एक महीने में 5 मिलियन डोज़ बनाने में कामयाब होंगे, जिसके बाद इसकी रफ्तार एक महीने में 10 मिलियन डोज़ तक पहुंचा पाएंगे. इस प्रोजेक्ट के साथ हमें लगातार कई लोगों का साथ मिल रहा है और दुनियाभर से लोग मदद के लिए आगे आ रहे हैं.

आदर पूनावाला का कहना है कि अगर क्लिनिकल टेस्ट और अन्य ट्रायल पूरी तरह से ठीक होते हैं तो इस साल के अंत तक हमें दवाइयां मिल सकती हैं.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस की महामारी ने दुनियाभर में अबतक 25 लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है, जबकि 1 लाख 80 हजार से अधिक लोग अबतक मर चुके हैं. ऐसे में हर बड़ी महाशक्ति की यही कोशिश है कि इसको लेकर वैक्सीन तैयार की जाए.


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