भारत में कम हुआ भ्रष्टाचार,शी के अभियान के बावजूद चीन पिछड़ा
ग्लोबल वॉचडॉग ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के वार्षिक सूचकांक के अनुसार राष्ट्रपति शी जिनपिंग के हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बावजूद चीन भ्रष्टाचार की रैंकिंग में ऊपर है। भ्रष्टाचार पर चीन की रैंकिंग 87 है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक भारत 78वें नंबर पर है। उसने तीन अंकों का सुधार किया है। जबकि पाकिस्तान की रैंकिंग 111 है।
वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक, 2018 में भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है। एक भ्रष्टाचार-निरोधक संगठन द्वारा जारी वार्षिक सूचकांक के मुताबिक इस सूची में चीन काफी पीछे छूट गया है।
ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने लंदन में जारी 2018 के अपने भ्रष्टाचार सूचकांक में कहा है कि दुनियाभर के 180 देशों की सूची में भारत तीन स्थान के सुधार के साथ 78वें पायदान पर पहुंच गया है। वहीं इस सूचकांक में चीन 87वें और पाकिस्तान 117वें स्थान पर हैं।
वैश्विक संगठन ने कहा है कि आगामी चुनावों से पहले भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग में मामूली लेकिन उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2017 में भारत को 40 अंक प्राप्त हुए थे जो 2018 में 41 हो गए।
इस सूची में 88 और 87 अंक के साथ डेनमार्क और न्यूजीलैंड पहले दो स्थान पर रहे। वहीं सोमालिया, सीरिया एवं दक्षिण सूडान क्रमश: 10,13 और 13 अंकों के साथ सबसे निचले पायदानों पर रहें।
वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक, 2018 में करीब दो तिहाई से अधिक देशों को 50 से कम अंक प्राप्त हुए। हालांकि देशों का औसत प्राप्तांक 43 रहा।
रपट में कहा गया है कि 71 अंक के साथ अमेरिका चार पायदान फिसला है। वर्ष 2011 के बाद यह पहला मौका है जब भ्रष्टाचार सूचकांक में अमेरिका शीर्ष 20 देशों में शामिल नहीं है।
शी का अभियान बेअसर
बता दें कि शी ने 2012 के अंत में सत्ता संभाली थी और वर्तमान में राष्ट्रपति के रूप में वह अपना दूसरा कार्यकाल संभाल रहे हैं। उन्होंने सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) में भ्रष्टाचार और सेना को अपने शासन का प्रमुख उद्देश्य बनाया है।
शी ने अपनी भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत पूर्व सुरक्षा झोउ योंगकांग, और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के 50 से अधिक शीर्ष जनरलों सहित विभिन्न स्तरों पर 1.3 मिलियन से अधिक अधिकारियों, जिनमें केंद्रीय सैन्य आयोग (CMC) के दो उपाध्यक्षों को बर्खास्त कर दंडित किया था।