September 22, 2024

देश निजीकरण की ओरः भारत पेट्रोलियम का होगा निजीकरण, अंबानी के हाथ में होगी बागडोर

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) के प्रस्तावित पूर्ण निजीकरण का रास्ता साफ हो चुका है। इसके लिए बकायदा देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से भी मंत्रालय को संस्तुति मिल चुकि है। जिससे साफ है कि अब जल्द ही भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन का निजीकरण हो जायेगा।

सरकार ने बीपीसीएल के राष्ट्रीकरण संबंधी कानून को 2016 में रद्द कर दिया था. ऐसे में बीपीसीएल को निजी या विदेशी कंपनियों को बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी.

निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया गया है. इसमें 1976 कानून भी शामिल है, जिसके जरिए पूर्ववर्ती बुरमाह शेल का राष्ट्रीयकरण किया गया था। हिंदी वेबसाइट द वायर ने दावा किया है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस कानून को समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। उक्त अधिकारी ने द वायर को बताया कि सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके. इसी के मद्देनजर सरकार बीपीसीएल में अपनी समूची 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है।

बीपीसीएल के निजीकरण से घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथल-पुथल आ सकती है। वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का दबदबा है. इसके अलावा बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है. संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।

वहीं, एक जापानी स्टॉकब्रोकर नोमुरा रिसर्च के अनुसार, मुकेश अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) बीपीसीएल में सरकार की 53.3 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगा सकते हैं। निवेशकों को भेजे गए नोट में नोमुरा ने कहा कि उन्हें लगता है कि सरकार का यह कदम केवल औपचारिकता पूरी करने की कवायद भर है. नोमुरा ने कहा कि रिलायंस रिफाइनिंग या केमिकल में भले ही अपनी हिस्से कम करना चाहती हो लेकिन वह बीपीसीएल में अपनी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगा सकती है।

उधर भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन जैसे महकमे का निजीकरण को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर भी सवाल खडे हो रहे है। अधिकांश लोगों का मनना है कि कभी स्वदेशी और बाजारवाद का विरोध करने वाली राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी पर अब बाजारवाद हावी हो गया है। लोग मानते है कि ऐसा निजीकरण तो बाजपेयी के दौरान भी नहीं हुआ था, लेकिन इसके बावजूद भी बीजेपी के ही संगठन भारतीय मजदूर संघ और विश्व हिंदू परिषद द्वारा सरकार पर आरोप लगाया गया था कि वह बीजेपी की मूल भावना के विपरीत जाकरण निजीकरण की ओर बड रही है, जिससे संघ बर्दाश्त नहींे करेगा, लेकिन मोदी युग में तो लगता है बीजेपी में अब वह हिम्मत नही रह गयी है जो पहले थी।


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