सशक्त भू कानून को लेकर हरिद्वार में उमड़ा प्रदर्शनकारियों का जनसैलाब
हरिद्वार। उत्तराखण्ड में स्थायी मूल निवास-1950 और सशक्त भू कानून लागू करने की मांग को लेकर हरिद्वार की सड़कों पर आज रविवार को प्रदर्शनकारियों का जनसैलाब उमड़ आया। ऋषिकुल से हर की पैड़ी तक निकली स्वाभिमान रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने शिरकत की। रैली के साथ-साथ पैदल चल रहे मोहित डिमरी ने हरकी पैड़ी पहुंच कर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए घोषणा की कि मूल निवास-1950 और मजबू भू कानून की मांग को लेकर 26 नवंबर से ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट ने भूख हड़ताल प्रारंभ की जायेगी। जो तब तक जारी रहेगी, जब तक उत्तराखण्ड में सशक्त भू कानून लागू नहीं हो जाता। उन्होंने यह कि कहा कि सशक्त भू कानून का जो ड्राफ्ट सरकार के पास है उसे जनता के बीच सार्वजनिक किया जाय।
मूल निवास, भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी, सह संयोजक लूशुन टोडरिया, सचिव प्रॉंजल नोडियाल, गढ़वाल मंडल संयोजक अरूण नेगी के नेतृत्व में ऋषिकुल से शिवमूर्ति, बाल्मीकि चौक, पोस्ट आफिस से अपर रोड होते हुए स्वाभिमान रैली हर की पैड़ी पहुंच कर जलसभा में परिवर्तित हो गयी। रैली में शामिल प्रदर्शनकारी ‘‘ सुन ले दिल्ली देहरादून, हमे चाहिए भू कानून’’, ‘‘गुड़, गन्ना, गंगा को बचाना है, मजबूत भू कानून लाना है’’, ‘‘जल, जंगल, जमीन हमारी, नहीं चलेगी, धौंस तुम्हारी’’ जैसे जोशीले नारे लगा रहे थे।
रैली में चल रही महिलाएं और युवा परंपरागत वादयंत्रों की थाप पर आन्दोलन के जनगीत गा कर लोगों में जोश भर रहे थे। बारह बजे ऋषिकुल से आरंभ हुई रैली को हरकी पैड़ी पहुंचते-पहुंचते करीब दो घंटे का समय लग गया। जहां समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने रैली को संबोधित किया।
उन्होंने कहा कि अनेकों बलिदान एवं संघर्षों के बाद हमे उत्तराखण्ड राज्य मिला है लेकिन हमारे राज्य के जल, जमीन, जंगलों पर पूंजीपति और बाहरी लोग कब्जा कर रहे हैं। हमारे संसाधनों की खुली लूट की जा रही है। उत्तरखण्ड की भावी पीढ़ी का भविष्य अंधकार हो रहा है।
डिमरी ने कहा राज्य के मूल निवासियों और कई दशकों से यहां निवास कर रहे लोगों के बच्चों को सरकारी गैर सरकारी नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जबकि बाहरी से आये लोग फर्जी निवास प्रमाण पत्र बनाकर हमारे हकों पर डाका डाल रहे हैं। उन्होने कहा कि अपने ही राज्य में मूल निवासियों के सामने आज पहचान का संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में बाहरी लोगों के राज्य में आने से यहां सांस्कृतिक परंपराओं पर भी खतरा मंडरा रहा है। जिससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है।
मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक ने कहा कि हरिद्वार से गुरूकुल नारसन तक के किसान और दशकों से व्यवसाय कर कर लोग भी उत्तराखण्ड के मूल निवासी हैं। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधन वाले उत्तराखण्ड में बाहरी लोगों का आगमन होने के कारण खेतीबाड़ी करने वाले उत्तराखण्ड के किसान भूमिधर से भूमिहीन हो रहे हैं। उनको बहला फुसला कर उनकी बेशकीमती जमीनों को बाहरी लोग नेता और नौकरशाहों के सिंडीकेट के साथ मिलकर कौड़ियों कर भाव खरीदकर उनको उनकी जड़ों से दूर कर रहे हैं। डिमरी ने कहा कि यहां के कल कारखानों में उत्तराखण्ड के युवाओं और मूल निवासियों को रोजगार नहीं मिल पा रहे हैं। स्वाभिमान रैली के आरंभ होने से पूर्व ऋषिकुल में भी अनेक नेताओं ने प्रर्दशनकारियों को संबोधित किया।