September 22, 2024

संस्कृति उत्तराखंड की, आयोजक कंपनी अंधेरी की

– पवनदीप और अरुणिता पर खर्च डाले 19 लाख, आयोजन के खर्च का ब्योरा नहीं दिया
– लोक कलाकारों को नहीं किया चवन्नी का भुगतान, कहा, बिल नहीं मिला
ये संस्कृति विभाग का कारनामा है। पिछले महीने आयोजित निनाद कार्यक्रम में विभाग ने पवनदीप और अरुणिता की परपोरमेंस के लिए लगभग 19 लाख रुपये खर्च कर डाले। इसमें से 14 लाख इन दोनों को दिये गये। दोनों की टिकटों पर 2 लाख 68 हजार 553 रुपये का भुगतान किया गया। जिस कंपनी के माध्यम से ये दोनों कलाकार आए वह कंपनी विली एंड चाकलेट इंटरटेनमेंट मुंबई के अंधेरी की है। हेमा मालिनी का नृत्य प्रायोजित था। संस्कृति विभाग ने हेमामालिनी को कोई भुगतान नहीं किया। लेकिन गजब की बात है कि लोक कलाकारों को एक महीने बाद तक आज तक चवन्नी का भुगतान नहीं किया गया। विभाग के पीआईओ अनिल श्रीवास्तव ने कहा है कि अभी बिल ही नहीं मिले।
मुझे लोक कलाकारों से यही शिकायत मिली थी कि निदेशक वीना भट्ट लोक कलाकारों को समय पर भुगतान नहीं करती। खून के आंसू रुलाती है। आपने मुंबई की कंपनी को समय पर ही नहीं चार लाख का अग्रिम भुगतान किया। लेकिन लोक कलाकारों को एक महीने बाद भी पैसे नहीं दिये। लोक कलाकारों को समय पर पैसे नहीं मिलते। क्या कोई संज्ञान लेगा? ननाद को लेकर मैंने दो आरटीआई लगाई थी। अभी तीन और आरटीआई लगा रहा हूं। इसमें संस्कृति विभाग के अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति का ब्यौरा भी मांगूगा। 6 बिंदुओं पर मैंने सूचना मांगी थी। सात से 10 जुलाई तक हुए निनाद पर कुल खर्च का ब्योरा मांगा तो कहा बिल अपर्याप्त हैं। विभाग ने निनाद के लिए कोई समिति नहीं बनाई, कहा गया कि विभागीय स्तर पर ही आयोजन किया गया।
मैंने एक अन्य सवाल में पूछा था कि संस्कृति विभाग क्या लोक कलाकारों को उनकी उपलब्धि या अनुभव के आधार पर भुगतान करता है। पिछले दो साल में संस्कृति विभाग द्वारा लोककलाकारों को उनके नाम और उनकी उपलिब्धयों के आधार आर्थिक मदद का ब्योरा मांगा था। कहा गया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। लोक कलाकारों को कोई आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है। यानी लोक कलाकारों को यदि आर्थिक मदद की जरूरत है तो वह मुख्यमंत्री राहत कोष या विवेकाधीन कोष की मदद लें या भीख मांग लें। बाजपुर सभागार के आधे-अधूरे निर्माण को लेकर कैग ने सवाल उठाए थे। उस पर क्या कोई जांच हुई के सवाल पर कहा गया कि सूचना धारित नहीं है।
मैं इन सूचनाओं से संतुष्ट नहीं हूं। विभाग की बजाए सीधे सूचना आयोग में शिकायत कर रहा हूं। मैं अभी बहुत सी सूचनाएं आरटीआई के माध्यम से मांगूंगा। संस्कृति विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर लोक कलाकारों में भारी रोष है। लोक कलाकारों के लिए लंबी जंग लड़ने का इरादा है। यदि कोई मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कुछ जानकारी देना चाहे तो मुझे 9410960088 पर संपर्क या वाट्सएप कर सकता है।


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