इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के दलवीर भंडारी ने दोबारा जज के तौर पर जीत दर्ज की
नीदरलैंड। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के दलवीर सिंह भंडारी ने दोबारा जज के तौर पर जीत दर्ज की है। जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल असेंबली में 183 वोट मिले, जबकि सुरक्षा परिषद में उन्हें सारे 15 वोट मिले।
जीत के बाद अगले नौ सालों के लिए उनकी नियुक्ति हुई है। यह इनका दूसरा कार्यकाल होगा। उनका मौजूदा कार्यकाल फरवरी 2018 में समाप्त होगा। भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था। मगर, आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया।
इस मौके पर जानते हैं कौन हैं दलवीर भंडारी और उनका अब तक का सफर…
राजस्थान के जोधपुर में 1 अक्टूबर 1947 को जन्मे दलवीर भंडारी के पिता और दादा राजस्थान बार एसोसिएशन के सदस्य थे। जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1973 से 1976 तक राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की।
इसके बाद दिल्ली में दलवीर वकालत करने के लिए चले गए और यहां वर्ष 1991 में दिल्ली उच्च न्यायालय के जज बन गए। अक्टूबर 2005 में वह मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश रह चुके हैं।
पद्मभूषण से सम्मानित जस्टिस दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी। इससे पहले वह भारत में विभिन्न अदालतों में 20 वर्ष से अधिक समय तक उच्च पदों पर रह चुके हैं।
आईसीजे में अपने कार्यकाल के दौरान भंडारी ने 11 मामलों में अपना व्यक्तिगत निर्णय दिया। इसमें समुद्री विवाद, अंटार्कटिका में व्हेल पकड़ने, नरसंहार के अपराध, परमाणु निरस्त्रीकरण, आतंकवाद के वित्तपोषण और सार्वभौमिक अधिकारों का उल्लंघन शामिल हैं।
1994 से ही जस्टिस भंडारी इंटरनेशनल लॉ ऐसोसिएशन, इंडिया चैप्टर के सदस्य रहे हैं। वर्ष 2007 में वह सर्वसम्मति से इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के अध्यक्ष चुने गए। जस्टिस दलवीर भंडारी ने एक पुस्तक भी लिखी है- ‘ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स : रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’।
दलवीर की जीत के मायने –
भंडारी की जीत भारत के लिहाज से काफी अच्छी है, क्योंकि पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी अंतर्राष्ट्रीय अदालत में चल रहा है।
भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर भारत का दबदबा कायम कर दिया है।
क्या है आईसीजे –
1945 में स्थापित आईसीजे दुनियाभर के देशों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाता है और कानूनी सवालों पर संयुक्त राष्ट्र के दूसरे संगठनों के नियमों के मुताबिक सलाह देता है। अंतराष्ट्रीय अदालत सभी के लिए खुला है, जिसमें सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश शामिल हैं।
आईसीजे में 15 जज होते हैं, जिन्हें नौ सालों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद नियुक्त करता है। किसी भी उम्मीदवार को इसके लिए दोनों संस्थानों में बहुमत हासिल करना जरूरी है।
आईसीजे की वेबसाइट के मुताबिक, जजों की नियुक्ति उच्च नैतिक चरित्र, योग्यता या अंतराराष्ट्रीय कानून में क्षमता की पहचान रखने वाले व्यक्ति के आधार पर होती है। जजों की नियुक्ति उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर न होकर, उनकी योग्यता के आधार पर की जाती है। दो जज एक ही देश से नहीं हो सकते हैं।
इस अंतरराष्ट्रीय अदालत की स्थापना 1945 में हुई थी, तबसे ऐसा पहली बार होगा, जब इसमें कोई ब्रिटिश जज नहीं होगा। आईसीजे के 15 जजों में से तीन जज अफ्रीका से और तीन जज एशिया के हैं। उनके अलावा दो जज लातीनी अमेरिका और दो पूर्वी यूरोप से हैं। पांच जज पश्चिम यूरोप और अन्य इलाकों से होते हैं।