September 22, 2024

अजीबोग़रीब है निदेशक माध्यमिक का महामंत्री राजकीय शिक्षक संघ को लिखा पत्र

पड़ताल – 5
देहरादून। निदेशक माध्यमिक का 28 जुलाई का शिक्षक संघ के महामंत्री को लिखा एक पत्र आजकल चर्चाओं का विषय बना हुआ है। राजकीय शिक्षक संघ प्रदेश के राजकीय माध्यमिक शिक्षकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध वैधानिक रूप से गठित एक मान्यता प्राप्त संगठन है । इस प्रकरण का घटनाक्रम इस प्रकार है कि दिनांक 23 जुलाई को प्रधानाध्यापक के पदों हेतु प्रोन्नत सूची सार्वजनिक हुई जिसके उपरांत महामंत्री सोहन माजिला ने शिक्षकों द्वारा दी गयी इस सूचना पर कि सूची में ऐसे शिक्षकों के नाम भी हैं जो वर्तमान में विभाग में हैं ही नहीं, दिनांक 26 जुलाई को दोपहर 12 बजकर 12 मिनट पर यह सूचना निदेशक माध्यमिक को दूरभाष पर हुई 1 मिनट 56 सेकंड की वार्ता में दी ।

जिस पर निदेशक माध्यमिक द्वारा सूची का पुनः परीक्षण करवाने का आश्वासन भी दिया गया। 26 तारीख़ को ही शिक्षक संघ के अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी ने भी निदेशक माध्यमिक शिक्षा से निर्गत पदोन्नति सूची में विसंगति तथा अन्य मुद्दों पर वार्ता की और दिनांक 28 अप्रैल को निदेशक माध्यमिक द्वारा मुख्य शिक्षा अधिकारियों से प्रकरण पर आख्या हेतु पत्र जारी किया गया ।

अब प्रश्न यह है कि राजकीय शिक्षक संघ के दो शीर्ष पदाधिकारियों के एक ही मुद्दे पर की गयी बातचीत पर निदेशक माध्यमिक द्वारा अध्यक्ष के पत्र पर कार्यवाही करना और महामंत्री के बयान पर उसी तिथि को बचकाना पत्र जारी करना कि यदि तुम्हें पहले से ही पता था तो तुम्हें यह बात मेरे संज्ञान में लानी थी जो कि वास्तव में लायी जा चुकी थी और महामंत्री को आदेशित करना की ऐसे शिक्षकों की सूची उपलब्ध कराएँ, निदेशक माध्यमिक की कार्यशैली और अनुभव पर प्रश्न लगाने के साथ साथ मंशा पर भी आशंका उत्पन्न करता है कि कहीं निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजकीय शिक्षक संघ में फूट डालने का प्रयत्न तो नहीं कर रही हैं।

निदेशक माध्यमिक को भली भाँति ज्ञात है कि जिस सूची को वे महामंत्री से माँग रही हैं उसके लिए उनके पास पूरा तंत्र उपलब्ध है, वास्तव में उस तंत्र का कार्य ही यह है कि त्रुटि रहित सूची तैयार करे। दूसरा, शिक्षक संघ की नियमावली के अंतर्गत महामंत्री का यह कार्य ही नहीं है कि व्यक्तिगत द्वेष आधारित निर्गत निदेशक माध्यमिक के अजीबोग़रीब आदेशों का अनुपालन करे। हालाँकि महामंत्री शिक्षक संघ का उक्त प्रकरण पर कहना है कि निदेशालय का पत्र विधिवत प्राप्त होने पर वे विनम्रता से सम्मानपूर्वक पत्र का उत्तर तथ्यों सहित देने का प्रयास करेंगे।


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