शिक्षकों के प्रमोशन मामले में डॉ० अंकित जोशी ने खोला मोर्चा, विभाग की उदासीनता पर उठाये सवाल
देहरादून। शिक्षा विभाग में एलटी से प्रवक्ता पदों पर प्रमोशन का पेंच जहां फंसा हुआ नजर आ रहा है वही, किस तरीके से प्रमोशन का लाभ शिक्षकों को मिले इसको लेकर लगता है कि शिक्षा विभाग गंभीरता की वजह उदासीन बना हुआ है। राजकीय शिक्षक संघ के एससीईआरटी शाखा के अध्यक्ष डॉ० अंकित जोशी लगातार अब शिक्षा विभाग के खिलाफ पदोन्नति के मसले पर विभागीय उदासीनता को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
डा० अंकित जोशी का कहना है कि यदि विभाग चाहता तो ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन कर वरिष्ठता का निर्धारण करते हुए तत्काल पदोन्नतियां कर विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हो जाती। उत्तराखण्ड की शिक्षा व्यवस्था पूर्ण रूप से आज चरमरा गई और इन पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर अस्थायी समाधान कर रहा है। जबकि विभागीय अधिकारियों को भलीभांति ज्ञात है कि तदर्थ और स्थायी शिक्षकों के विवाद ही शिक्षा विभाग में विवाद है।
ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया है कि सरकार वरिष्ठता का निर्धारण करे व तदोपंरात पदोन्नति करे। किन्तु विभाग द्वारा ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन करने के बजाय बिना कुछ किए ही 21 अप्रैल 2022 के आदेश को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है और अब रिक्त पदों पर अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति करने जा रहा है। जबकि विभाग को वरिष्ठता का निर्धारण कर पदोन्नति करनी चाहिए थी। उसके बाद यदि कोई कार्मिक असंतुष्ट होता तो वह स्वयं माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जाता।
उन्होने कहा कि विभाग की अनिर्णयता इतनी प्रबल है कि बिना कुछ किए ही माननीय उच्च न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहा है। विभाग बिना निर्णय लिये माननीय उच्च न्यायालय की शरण में क्यों जा रहा है? विभाग के इस कदम पर राजकीय शिक्षक संघ के एससीईआरटी शाखा के अध्यक्ष डॉ० अंकित जोशी ने कई सवाल उठाये हैं जो इस प्रकार हैं-
अप्रैल से नवम्बर तक विभाग द्वारा ट्रिब्यूनल के आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया गया?
6 माह बाद विभाग की तंद्रा कैसे टूटी?
ट्रिब्यूनल के आदेश में सरकार को निर्देशित किया गया कि तीन माह की अवधि में वरिष्ठता का निर्धारण करें चाहें तो कार्मिक व न्याय विभाग से इस हेतु परामर्श ले, फिर विभाग ने वरिष्ठता का निर्धारण कर पदोन्नतियां क्यों नहीं की?
जहां माननीय उच्च न्यायालय में ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती देने हेतु पत्रावली चली वहां से इस आदेश के अनुपालन में वरिष्ठता निर्धारण हेतु कार्यवाही क्यों नहीं हुई?