श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के चौथी बार कुलपति बने डा. उदय सिंह रावत

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देहरादूनः श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने चौथी बार कार्यभार ग्रहण किया। डा. रावत आज बादशाही थौल स्थित विश्वविद्यालय के मुख्यालय पहुंचे। जहां उनका पारंपरिक पहाड़ी रीति-रिवाज और ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया गया। इस मौके पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें पुनः कुलपति बनाये जाने पर भारी खुशी जताई। इसके उपरांत डा. रावत कुलपति सचिवालय गये जहां उन्होने अपने कार्यालय में चौथी बार कार्यभार ग्रहण किया। कार्यभार ग्रहण करने के उपरांत डा. रावत ने विश्वविद्यालय के कार्यों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने अपनी प्राथमिकताएं भी गिनाई।

जल्द घोषित होंगे परीक्षाफल

विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति पुनर्नियुक्ति पाने के उपरांत डा. उदय सिंह रावत ने कार्यभार ग्रहण करते हुए अपनी प्राथमिकताएं गिनाई। इस दौरान उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा वर्तमान में संचालित की गई परीक्षाओं का परीक्षाफल वह जल्द घोषित करेंगे। डा. रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय 10 जुलाई से पहले परीक्षा परीणाम जारी करेगा। इसके लिए उन्होंने संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देश भी दिये। साथ ही कुलपति डा. रावत ने पारदर्शिता से परीक्षओं के आयोजन करने पर भी जोर दिया।

कर्मचारियों को कड़े निर्देश

डा. उदय सिंह रावत ने पदभार ग्रहण करने के उपरांत विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों की बैठक ली। इस दौरान डा. रावत ने स्पष्ट किया कि वह हमेशा मित्रभाव से काम करते रहे हैं। विश्वविद्यालय के कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा वह बर्दास्त नहीं करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह सरकार और यूजीसी के नियमों तथा निर्देशों के तहत सभी कार्यों का निष्पादन समय से करेंगे। इस मौके पर डा. रावत ने सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को लक्ष्य निर्धारित करने को कहा। साथ ही प्रत्येक कर्मचारी के हर माह के कार्य की समीक्षा करने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि सभी सदस्य निष्ठा और ईमानदारी से काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सभी कर्मचारी विश्वविद्यालय के प्रति निष्ठावान हो जाए तो विश्वविद्यालय प्रदेश का रोल माॅडल बन जायेगा।

कीट विज्ञानी से कुलपति
डा. उदय सिंह रावत ने अपने करियर का आगाज एक कीट वैज्ञानिक के रूप में किया। उनकी बौद्धिक क्षमता, कुशल प्रबंधन और कठोर परिश्रम का ही नतीजा रहा कि डा. रावत को 3 मई 1993 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कुल सचिव (शोध, विकास और वित्त) के रूप में नियुक्त किया गया। इसके पश्चात डा. रावत ने शोध के साथ-साथ शौक्षिणिक क्षेत्र में सामंजस्य बिठाया और एक आदर्श स्थापित किया। भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने डा. रावत की शोधात्मक प्रवृत्ति, शैक्षिणिक उत्सुकता और प्रशासनिक क्षमताओं को देखते हुए उन्हें बाबा साहिब भीमराव अम्बेडकर केेंद्रीय विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी सौंपी। इस जिम्मेदारी का डा. रावत ने बखूबी निर्वहन किया और अपना पूरा अनुभव इस नवसृजित विश्वविद्यालय के विकास में लगाया। फलतः यह विश्वविद्यालय देश के ‘ए’ श्रेणी के विश्वविद्यालयों में शुमार हुआ। इस प्रकार एक कीटविज्ञानी शिक्षा का प्रखर शिल्पी बना।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डा. रावत के अनुभवों को देखते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति (भारत गणराज्य के राष्ट्रपति) द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्याय में कुलसचिव के तौर पर नियुक्त किया गया। चूंकि इस यूनिवर्सिटी को तब केंद्रीय विश्वविद्यालय को दर्जा दिया गया था। कुलसचिव पद पर रहते हुए डा. रावत ने कई महत्वपूर्ण और सुधारात्मक कार्य किये, जिनके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।
हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय में किये गये आभूतपूर्व कार्यों के चलते उत्तराखंड सरकार द्वारा नवसृजित श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की बागडोर डा. रावत को सौंपी गई और विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति नियुक्त किया। डा. रावत के उत्कृष्ट शैक्षिणिक अनुभव, कुशल प्रबंधन और स्पष्ट सोच को देखते हुए प्रदेश सरकार की संस्तुति पर विश्वविद्यालय के कुलाधिपतियों द्वारा समय-समय पर आपके कार्यकाल को न सिर्फ विस्तार दिया बल्कि विश्वविद्यायल के कुलपति पद पर डा. रावत की पुनर्नियुक्ति भी की। डा. रावत ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की चौथी बार कमान थामी।
इतना ही नहीं डा. रावत की प्रतिबद्धता, कार्यकुशलता को देखते प्रदेश के राज्यपाल द्वारा श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के साथ-साथ हेमवती नंदन बहुगुण उत्तराखंड मेडिकल शिक्षा विश्वविद्यालय, उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा। जो कि डा. उदय सिंह रावत की ईमानदारी, मेहनत, प्रशासनिक कौशल और उच्च शिक्षा के प्रति समर्पण का नतीजा है।

विश्वविद्यालय में होगी नियुक्तियां

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में सीमित अधिकारी और कर्मचारी है। जिससे विश्वविद्यालय के कार्यों में बाधा आती रहती है। हालांकि कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वविद्यालय के कार्यों को सीमित संसाधनों में भी कुशलतापूर्वक अंजाम दिये। लेकिन इसके बावजूद भी कर्मचारियों की कमी विश्वविद्यालय में हमेशा महसूस हुई। वहीं कुलपति डा. रावत ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय के कार्यों में तेजी लाने के लिए विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाई जायेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के गोपेश्वर और बादशाही थौल परिसर में नई नियुक्ति के लिए एजुकेशन कौंसिल में प्रस्ताव लाया जायेगा।

सितंबर में होगा दीक्षांत समारोह

अपने पदभार ग्रहण करने के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय जल्द ही अपना दूसरा दीक्षांत समारोह का आयोजन करेगा। जो कि सितम्बर माह में आयोजित किया जायेगा। लिहाजा इसकी तैयारियां अभी से शुरू कर दी है। कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय इस बार अपना दीक्षांत समारोह नए कलेवर के साथ मनाएगा।

गोद लिये गांवों में होंगे प्रोग्राम

श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डा. उदय सिंह रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा पांच गांव गोद लिये गये हैं। सभी गांवों में जल्द विभिन्न जागरूकता अभियानों का आयोजन किया जायेगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि इस बार के प्रोग्राम ग्रामीणों के लिए नये अनुभव वाले होंगे। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय लगातार अपने गोद लिये गांवों में समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है।

सबसे लंबे कार्यकाल का कीर्तिमान

प्रदेश के उच्च शिक्षा क्षेत्र में डा. उदय सिंह रावत के नाम एक नया कीर्तिमान स्थापित हो गया है। वह प्रदेश के पहले कुलपति हैं जो किसी विश्वविद्यालय में सबसे लंबे समय तक कुलपति पद पर रहे। डा. रावत ने नवसृजित श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में बतौर कुलपति सन् 2012 में ज्वाइंन किया था और लगातार अपने दो कार्यकाल पूरे किये। वह सात साल से विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। यह उपलब्धि डा. रावत के अथक परिश्रम और ईमानदारी का नतीजा है।

वहीं इस मौके पर विश्वविद्यालय की वित्त अधिकारी स्मृति खंडूडी, डिप्टी रजिस्ट्रार दिनेश चंद्रा, सहायक परीक्षा नियंत्रक हेमंत बिष्ट, डा. बी.ए. आर्या, निजी सचिव कुलपति कुलदीप नेगी, सुनील नौटियाल, काॅलेज प्रबंधक और सथानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

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