September 22, 2024

नियमावली के खिलाफ ऊर्जा निगम में प्रभारी एमडी को तैनात करने की तैयारी! इंजीनियर संगठन ने जताया विरोध

देहरादून। ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक का पद पिछले कुछ समय से लगातार चर्चाओं और विवादों में रहा है। वैसे तो प्रबंध निदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए तय प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया था। लेकिन अब मीडिया के हवाले से खबर है कि कि गुपचुप रूप से किसी विवादित अधिकारी को निगम में प्रबंध निदेशक बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई है। खबर है कि ऊर्जा निगम में इस बार नियमों को तोड़-मरोड़ कर प्रभारी प्रबंध निदेशक यानी एमडी की तैनाती होने जा रही है। ऊर्जा निगम के इंजीनियर संघ ने इस नियुक्ति के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। और नियमावली के अनुसार प्रबंध निदेशक पद पर नियुक्ति करने की मांग दोहराई है।

इसको लेकर ऊर्जा निगम के इंजीनियर संगठन ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर इस बात की आशंका जताई है। इस पद पर किसी विवादित अधिकारी को लाने की चर्चाएं हैं, जबकि प्रबंध निदेशक के तौर पर स्थाई नियुक्ति के लिए बकायदा नियमावली बनाई गई है। इस नियमावली के तहत इस विवादित अधिकारी को प्रबंध निदेशक बनाया ही नहीं जा सकता है।

बताते चले कि पूर्व में ऊर्जा निगम में प्रबंध निदेशक के तौर पर किसी भी निदेशक को तैनाती दी जा सकती थी। इसके लिए कोई खास पैरामीटर तय नहीं किए गए थे। लेकिन ऊर्जा निगम की जरूरतों को देखते हुए इस पर कैबिनेट द्वारा पारित प्रबंध निदेशक अर्हता नियमावली अस्तित्व में लाई गई। जिसके तहत तकनीकी क्षेत्र में स्नातक करने वाले अधिकारी को ही प्रबंध निदेशक बनाया जा सकता है। यानी कोई इंजीनियर ही इस पद पर आसीन हो सकता है।

बता दें कि प्रदेश में ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक की नियुक्ति के लिए पूर्व में शासन द्वारा विज्ञापन भी जारी किया जा चुका है। इसके सापेक्ष विभिन्न अभ्यर्थियों के आवेदन भी प्राप्त हो चुके हैं। जिस पर फिलहाल अभ्यर्थियों के इंटरव्यू होने बाकी हैं। लेकिन इस प्रक्रिया के होने के बावजूद भी अब चर्चा यह है कि किसी विवादित अधिकारी को प्रभारी प्रबंध निदेशक बनाया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नियमावली होने के चलते प्रभारी प्रबंध निदेशक की व्यवस्था की जा रही है ताकि इन नियमों को बाईपास किया जा सकें।

वहीं इस मामले पर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि कौन प्रबंध निदेशक बनेगा? यह तय करना सरकार का काम है। इस काम को सरकार पर ही छोड़ दिया जाए। हरक सिंह रावत ने वहीं विवादित अधिकारी की पैरवी करते हुए कहा कि जब तक दोष सिद्ध न हो जाए तब तक किसी को गलत ठहराना सही नहीं है।

वहीं नैनीडांडा क्षेत्र विकास कल्याण समिति ने ऊर्जा निगमों में एमडी पद इंजीनियर की अनिवार्य अर्हता को खत्म कर पर्वतीय मूल के अधिकारियों को नियुक्त करने की मांग उठाई है। समिति के सचिव अर्जुन पटवाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि ऊर्जा निगमों के प्रबंध निदेशक के पदों पर मानव संसाधन संवर्ग वित्तीय संवर्ग के अधिकारियों को नियुक्ति किया जाना चाहिए। लेकिन एक साजिश के तहत निगमों के उच्च पदों पर अभियंत्रण संवर्ग को अनिवार्य किया गया है जिसके चलते योग्य होते हुए भी पर्वतीय मूल के अधिकारी प्रबंध निदेशक बनने से वंचित रह जाते हैं।


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