September 22, 2024

ऊर्जा निगम एक्सक्लूसिवः ‘राधिका’ के राज में चहेतों को ‘सेवा विस्तार’

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार कहती है कि वह ‘जीरो टाॅलरेंस’ के एजेंडे पर काम कर रही है। तो आप यकीन मानिए यह किसी विज्ञापन की तरह उत्तराखंड सरकार की सिर्फ ‘टैग लाइन’ है। जैसे कोई कंपनी अपने उत्पाद को बेचने के लिए कई दावे करती है और एक अच्छी सी ‘पंच लाइन’ देती है। जो ग्राहकों के दिलो-दिमाग में उतर जाती है। ‘जीरो टाॅलरेंस’ का ऐजेंडा भी सरकार की एक टैग लाइन है। ताकि जनता के बीच सरकार की एक साफ-सुधरी छवि बनी रहे। अगर सरकार ‘जीरो टाॅलरेंस’ के दावे पर अमल कर रही होती तो ऊर्जा के तीनों निगमों में डायरेक्टर के पदों पर नए चेहरे होते। लेकिन सचिव ऊर्जा राधिका झा को ‘जीरो टाॅलरेंस’ की पाॅलिसी रत्तीभर पसंद नहीं है। वह डायरेक्टर के विभन्न पदों पर नये लोगों को नियुक्त करने के मूड में नहीं है बल्कि अपने चहेतों को सेवा विस्तार का लाभ पहुंचाने में जुटी हैं।

सेवा विस्तार क्यों?

उत्तराखंड पाॅवर ट्राॅसमिशन कार्पोरेशन में निदेशक (वित्त) और निदेशक (मानव संसाधन) के पद हेतु जुलाई माह में विज्ञप्ति जारी की, लेकिन अभी तक उक्त पदों पर नई नियुक्ति नहीं हो पायी।

प्रदेश में ऊर्जा के तीनों निगमों यूपीसीएल, यूजेवीएनएल और पिटकुल में मैनेजिंग डायरेक्टर और डायरेक्टर के पदों पर ‘सेवा विस्तार’ का खेल खेला जा रहा है। वह भी तब जब मुख्यमंत्री खुद इस विभाग के सर्वेसर्वा हैं। दरअसल तीनों निगमों में प्रबंधक निदेशक, निदेशक (वित्त), निदेशक (मानव संसाधन), निदेशक (आॅपरेशन) के पदों पर नई नियुक्ति होनी थी। इसके लिए ऊर्जा सचिव ने जुलाई महीने में बकायदा विज्ञप्ति भी जारी की। लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी उक्त पदों पर कोई कार्रवाही अमल में नहीं लायी गई। जबकि दूसरी ओर निदेशकों के कार्यकाल खत्म होने की कगार पर है। इससे पहले भी ऊर्जा सचिव ने अपनी पाॅवर का इस्तेमाल कर अपने चहेतों को सेवा विस्तार देकर उपकृत किया। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री की सख्ती के बावजूद भी सचिव ऊर्जा राधिका झा अपने चहेतों को दोबारा सेवा विस्तार के पक्ष में क्यों है।

नई नियुक्ति कब?

उत्तराखंड पाॅवर कार्पोरेशन में प्रबंधक निदेशक, निदेशक (मानव संसाधन) एवं निदेशक (आॅपरेशनल) के पद हेतु जुलाई माह में विज्ञप्ति जारी की, इन पदों पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हो पायी।

ऊर्जा के तीनों निगमों में भ्रष्टाचार का खूब खेल खेला जा रहा है। खासकर उत्तराखंड जल विद्युत निगम पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। यूजेवीएनएल के प्रबंधक निदेशक एस.एन.वर्मा के खिलाफ उत्तराखंड से लेकर झारखंड तक कई भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इतना ही नहीं वर्मा की नियुक्ति के दौरान उनके नियुक्ति पत्र में साफ अंकित है कि उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच सरकार करे। उधर उत्तराखंड पाॅवर कार्पोरेशन के प्रबंधक निदेशक बी.सी.के. मिश्रा के खिलाफ भी कई गंभीर आरोप हैं। यहां तक की भ्रष्टाचार के एक प्रकरण में मिश्र के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। ऐसे में सवाल उठाता है आखिर ऊर्जा सचिव अपने इन दागदार अफसरों पर इतनी मेहरवान क्यों है। आखिर वह विज्ञप्ति जारी करने के बाद भी नई नियुक्ति करने में क्यों टालमटोल कर रही है।

उत्तराखंड जल विद्युत निगम में प्रबंधक निदेशक, निदेशक (मानव संसाधन) के पद हेतु जुलाई माह में विज्ञप्ति जारी की, इन पदों पर भी अभी तक नियुक्ति नहीं हो पायी।

सचिव के शार्गिद

ऊर्जा सचिव राधिका झा द्वारा तीनों निगमों के प्रबंधक निदेशक और निदेशकों के लिए जुलाई महीने में विज्ञापन जारी किये गये थे। विज्ञापन में साफ किया गया था कि अगले 45 दिनों में उक्त पदों के लिए स्क्रूनी की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी। लेकिन चार महीने बीत गये लेकिन उक्त पदों पर नई नियुक्ति नहीं की गई। जबकि इस बीच उक्त पदों पर आसीन अधिकारियों का सेवाकाल ही खत्म हो रहा है। इससे पहले भी सचिव राधिका झा ने पदों पर काबिज अधिकारियों को सेवा विस्तार दिया। आपको बता दें कि आखिर वे अधिकारी कौन हैं जिन पर सचिव ऊर्जा इतनी मेहरबान दिख रही है।

उत्तराखंड पाॅवर कार्पोरेशन
प्रबंधक निदेशक- बी.सी.के. मिश्रा
निदेशक (मानव संसाधन)- पी.सी. ध्यानी
निदेशक (आपरेशनल)- अतुल कुमार अग्रवाल
उत्तराखंड जल विद्युत निगम
प्रबंधक निदेशक- एस.एन. वर्मा
निदेशक (मानव संसाधन)- पंकज कुमार
उत्तराखंड पाॅवर ट्राॅसमिशन कार्पोरेशन
निदेशक (वित्त)- अमिताभ मैत्रे
निदेशक (मानव संसाधन)- आशीष कुमार


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