EXCLUSIVE: उर्जा सचिव राधिका झा को आवमानना नोटिश जारी, उपनल कर्मियों की पेट पर मारी थी लात

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देहरादून। सचिव (ऊर्जा) राधिका झा के एक आदेश के बाद प्रदेशभर के ऊर्जा निगमों में तैनात सैकडों उपनल कर्मियों की पेट पर लात लगी थी। लेकिन गजब तो यह था कि ऊर्जा सचिव की ओर से जिस आदेश को जारी किया गया था वह आदेश जारी कर वह खुद न्यायालय की अवमानना कर बैठी थी। दस्तावेज ने इस समाचार को ”EXCLUSIVE: न्यायालय की अवमानना कर बैठी राधिका झा, उपनल कर्मियों की पेट पर लात” शीर्षक के साथ प्रमुखता से प्रकाशित किया था। राधिका झा के उक्त आदेश जारी होने पर दस्तावेज ने चेताया था कि सचिव (ऊर्जा) राधिका झा यह आदेश जारी कर न्यायालय की आवमानना कर बैठी है। दो सप्ताह के बाद आज DASTAVEJ.IN की खबर पर न्यायालय के उस आदेश ने मुहर लगा दी है जिसके तहत राधिका झा को अवमानना नोटिस जारी किया गया है।

क्या था प्रकरण

उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, यूजेविएन लि0 व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये थे। उत्तराखण्ड शासन के आदेश दिनांक 03.07.2020 के माध्यम से ऊर्जा के तीनों निगमों यथा उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि0, यूजेविएन लि0 व पिटकुल के विभिन्न पदों पर सीधी भर्ती के माध्यम से नियुक्ति हेतु आदेश जारी किये गये हैं। जबकि इन पदों पर पहले से ही कई वर्षो से उपनल के माध्यम से कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे है। सचिव ऊर्जा के इस तुगलकी फरमान ने कोरोना वायरस कोविड-19 जैसे संकट में निगम को अपने सेवा दे रहे कर्मियों के सामने बडा संकट खडा कर दिया था।

दस्तावेज न्यूज पोर्ट पर प्रकाशित समाचार ”EXCLUSIVE: न्यायालय की अवमानना कर बैठी राधिका झा, उपनल कर्मियों की पेट पर लात”

जबकि उक्त निर्णय के विरूद्ध राज्य सरकार द्वारा मा0 उच्चतम न्यायालय (SUPREMCOURT)  में स्थगन (STAY) हेतु याचिका दाखिल की गई जिस पर मा0 न्यायालय द्वारा सुनवाई करते हुए अग्रीम आदेशों तक रोक लगा दी थी। बता दें कि ऊर्जा निगमों में 764 पदों पर भर्ती को वित्त विभाग ने मंजूरी के बाद यह स्थिति बनी थी। मंजूरी मिलते ही सचिव ऊर्जा राधिका झा ने तीनों निगमों के एमडी को अपने-अपने स्तर पर कार्यवाही करने के निर्देश दे दिए हैं। जबकि उक्त पदों पर पहले से ही विभागीय उपनल के माध्यम से कर्मचारी वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे है।

यह उठाया था दस्तावेज न्यूज पोर्ट ने सवाल..

दस्तावेज न्यूज पोर्ट का सवाल था कि क्या उत्तराखण्ड शासन के सम्मुख या तो उपरोक्त तथ्य नहीं रखे गये हैं या जानबूझकर सचिव उर्जा राधिका झा ने मा0 न्यायालय के निर्णयों की अवमानना करते हुए भर्ती प्रक्रीया शुरू कोरोना वायरस कोविड-19 के समय में संविदा कर्मचारियों के मनोबल को गिराने का कार्य किया है। जिसे किसी भी सुरत में सही नहीं ठहराया जा सकता है। वहीं इस मामले पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मयंक बडोनी का कहना था था कि जब मामला पहले से ही राज्य सरकार बना उपनल कर्मियों को लेकर सुनवायी करते हुए अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गयी है तो फिर बीच में भर्ती शुरू नही की जा सकती है। बडोनी ने कहा कि इस मामले में वह स्य संज्ञान लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध वाद दायर करने की अनुमति मांगेंगे।

क्या आया फैसला

उत्तराखंड विद्युत कर्मचारी संगठन की ओर से अधिवक्ता एम.सी पन्त की ओर से नैनीताल हाईकोर्ट में उर्जा सचिव राधिका झा के उक्त आदेश के विरूद्ध अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी। जिसपर सुनवाई करते हुये उच्चन्यायालय की एकल पीठ के न्यायमूर्ती मनोज तिवारी ने याचिका स्वीकर करते हुये सचिव उर्जा राधिका झा को अवमानना नोटिस जारी करते हुये जवाब दाखिल करने के निर्देश दिये है।